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मुंडमाल परिक्रमा पर कुरसेला पहुंचा सेवानिवृत सैन्य अधिकारियों का जत्था

कटिहार। गंगा के अविरल प्रवाह को बनाए रखते हुए इसे प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए मुंडमाल परि

By JagranEdited By: Published: Sun, 10 Jan 2021 09:36 PM (IST)Updated: Sun, 10 Jan 2021 09:36 PM (IST)
मुंडमाल परिक्रमा पर कुरसेला पहुंचा सेवानिवृत सैन्य अधिकारियों का जत्था

कटिहार। गंगा के अविरल प्रवाह को बनाए रखते हुए इसे प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए मुंडमाल परिक्रमा पर निकले सेवानिवृत सैन्य पदाधिकारी व जवानों का जत्था रविवार को कटिहार सीमा में प्रवेश कर गया। बता दें कि आर्मी वेटरनेन द्वारा गंगा मुंडमाल परिक्रमा की शुरूआत 16 दिसंबर को इलाहाबाद संगम तट से की गई है। इसमें सेना के ब्रिगेडियर एवं कर्नल स्तर के सेवानिवृत अधिकारी के साथ ही पर्यावरण व जल विशेषज्ञ भी शामिल हैं। रविवार को यह जत्था कटिहार जिले के कुरसेला में प्रवेश किया।

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क्या है मुंडमाल परिक्रमा

कुल आठ माह में यह परिक्रमा पूरी की जाएगी। इस दौरान गंगा के दोनों किनारे पांच लाख पौधारोपण किया जाएगा। अब तक तीन हजार से अधिक पौधे लगाए जा चुके हैं। गंगा किनारे स्थित स्कूल व गांव टोला में पौधे लगाकर इसके देखभाल की जवाबदेही स्थानीय किसी बच्चे को दी जाती है। गांव वालों के साथ जागरूकता गोष्ठी का आयोजन कर नदियों से सांस्कृतिक जुड़ाव होने की जानकारी देने के साथ ही प्रदूषण मुक्त गंगा के प्रवाह को लेकर जागरूक किया जा रहा है। पौधारोपण में पीपल, बरगद और नीम के पौधे लगाए जा रहे हैं। इस परिक्रमा अभियान का उद्देश्य 11 वर्ष बाद सेटेलाइट से गंगा के लिए जाने वाले चित्र में दोनों किनारे वृक्षों के माला का स्वरूप देने को है।

इस चलते इसे मुंडमाल परिक्रमा का नाम दिया गया है। पर्यटन और रोजगार को बढ़ावा देना भी उद्देश्य मुंडमाल परिक्रमा में शामिल सेना इंजीनियरिग कोर से सेवानिवृत 80 वर्षीय गोपाल शर्मा, कर्नल हेम लुहोनी, कर्नल माइक का कहना है कि वैदिक काल में इस तरह की मुंडमाल परिक्रमा का आयोजन होता था। आधुनिक भारत में यह अपनी तरह का अनूठी पहल है। गंगा सहित अन्य प्रमुख नदियों के किनारे कई प्रसिद्ध मेले लगते थे। मेले में दूसरे राज्यों से भी लोग पहुंचते थे। इससे स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलता था। गंगा के स्वरूप को निखार कर पर्यटन और रोजागर को बढ़ावा देना भी इस अभियान का उद्देश्य है। इस परिक्रमा अभियान को नमामि गंगे, केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय का भी सहयोग है। पौधारोपण के लिए अतुल्य गंगा संस्था द्वारा पौधे उपलब्ध कराए जा रहे हैं।


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