उम्मीदों की दीया से जगमगाया शहर, चहुंओर रही कोरोना हारेगा की मौन गूंज
कटिहार। घड़ी की सूई नौ बजे पर पहुंची नहीं कि एक बारगी ही घरों की बत्तियां गुल हो ग
कटिहार। घड़ी की सूई नौ बजे पर पहुंची नहीं कि एक बारगी ही घरों की बत्तियां गुल हो गई। अंधेरा अपनी चादर बिखेर ही रहा था कि उम्मीदों की दीया ने आपदा रुपी इस अंधेरे का सीना चीर दिया। संकल्प का तेज प्रकाश से उत्साह की किरणें फूट पड़ी। चहुंओर कोरोना हारेगा की मौन गूंज सब कुछ कह गया। इस रोशनी में एक नूतन संदेश भी था। हर चेहरे पर राष्ट्रधर्म निभाने की खुशी दूर से ही झांक रही थी। घरों में कैद रहने, रोजी-रोटी बंद रहने, कल की फिक्र हर चीज इस उत्साह के आगे बौनी दिख रही थी। हर घर आंगन से दीया के साथ दहलीज व दरवाजे पर निकले महिला-पुरुष मानो एक दूसरे को इस जंग को जीतने की बधाई दे रहे थे। यह सिलसिला एक-दो मिनट नहीं पूरे नौ मिनट तक चला और लोगों के इस उत्साह ने यह साबित कर दिया कि कोरोना की हार तय है।
बता दें कि प्रधानमंत्री ने कोरोना से देश की जंग की हर स्थितियों को लेकर तीन अप्रैल को राष्ट्र को संबोधित किया था। इसी दौरान उन्होंने लोगों से रविवार की रात नौ बजे से नौ बजकर नौ मिनट तक अपने-अपने घर के दरवाजे पर दीया, मोमबत्ती, टार्च या मोबाइल की फ्लैश लाइट जलाने की अपील की थी।
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नौ मिनट का मिनी दीपावली, जय श्रीराम के भी लगे नारे
कटिहार: यह सचमुच नौ मिनट का मिनी दीपावली ही था। अधिकांश छतों पर दीपावली की तरह ही दीए जगमगा रहे थे। जगह-जगह घरों से जय श्रीराम के नारे भी गूंज रहे थे। यद्यपि अपील के विपरीत कई जगह आतिशबाजी भी हुई। बहरहाल, यह पूरी तरह मिनी दीपावली का नजारा ही था। वही उमंग, वहीं उत्साह, वही खुशियां। 12 दिनों से घर में रह रहे बच्चे ही नहीं बुजुर्ग तक दीया की रोशनी में राष्ट्रधर्म निभाने की खुशी बांट रहे थे। यह इस बात का भी संकेत था कि उन्हें पूर्ण विश्वास है कि हमारा देश जरुर जीतेगा।