निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में बाजी मार सभी को चौंकाया था जलील
कटिहार। तीन बार कदवा विधानसभा से विधायक रहे अब्दुल जलील की लंबी बीमारी के बाद निधन की खबर
कटिहार। तीन बार कदवा विधानसभा से विधायक रहे अब्दुल जलील की लंबी बीमारी के बाद निधन की खबर फैलते ही लोगों में शोक की लहर दौड़ गई। पहली बार 1990 में बतौर निर्दलीय विधानसभा चुनाव जीत कर उन्होंने सियासी हलकों में हलचल मचा दी थी। लोगों से सहजता पूर्वक मिलने एवं अपनी बेबाक बातों की वजह से उनकी अलग पहचान रही थी। गरीबों के बीच उनकी लोकप्रियता चरम पर थी। 1990 में निर्दलीय चुनाव जीत कर उन्होंने लोगों को अचंभित कर दिया था। उनके चुनाव जीतने पर लोग बस यही कहते थे कि जलील ने सूखे में नाव चला दिया, कारण उनका चुनाव चिन्ह नाव था। उसके बाद 1995 में वे भाजपा के स्व भोला राय से पराजित हुए थे। पुन: 2005 में कुछ माह के अंतराल पर हुए दोनो विधानसभा चुनाव में वे राकांपा के टिकट पर विधायक चुने गए। पहली बार विधायक बनने के बाद हीं उनका गले का ऑपरेशन हुआ था। उसके बाद से वे गले मे लगे कृत्रिम मशीन के सहारे ही बातचीत करते थे। हालांकि उनका घर प्राणपुर विधानसभा में पड़ता है। लेकिन उनका राजनीतिक कर्म भूमि कदवा विधानसभा रहा। उनके निधन पर स्थानीय विधायक डा शकील अहमद खान, पूर्व राज्य मंत्री हिमराज ¨सह, प्रमुख पारस राय, राजद प्रखंड अध्यक्ष प्रदीप विश्वास, जदयू प्रखंड अध्यक्ष बिजय दास, भाकपा नेता विनोदानंद साह, कांग्रेस प्रखंड अध्यक्ष अंसार काजमी सहित लोगों ने गहरी संवेदना व्यक्त की है।