पहल : बिहार के कोसी इलाके में अब महिलाएं करेंगी रेशम का उत्पादन, जानिए...
कोसी में अब महिलाएं रेशम का उत्पादन करेंगी। कौशिकी योजना के तहत पूर्णिया, सहरसा, सुपौल, मधेपुरा, कटिहार, अररिया व किशनगंज में मलवरी की खेती होगी। इसका क्रियान्वयन हस्तकरघा एवं रेशम निदेशालय द्वारा 'जीविका' और रेशम के क्षेत्रीय पदाधिकारी करेंगे।
पूर्णिया [राजेश कुमार]। कोसी में अब महिलाएं रेशम का उत्पादन करेंगी। कौशिकी योजना के तहत पूर्णिया, सहरसा, सुपौल, मधेपुरा, कटिहार, अररिया व किशनगंज में मलवरी की खेती होगी। इसका क्रियान्वयन हस्तकरघा एवं रेशम निदेशालय द्वारा 'जीविका' और रेशम के क्षेत्रीय पदाधिकारी करेंगे।
खेती को बढ़ावा देने के लिए मनरेगा से पौधरोपण किया जाएगा और उद्योग विभाग कीटपालन गृह का निर्माण कराएगा। मनरेगा से ही तीन साल तक पौधों की देखरेख के अलावा खाद-पानी की व्यवस्था भी की जाएगी।
पूर्णिया में जीविका ने इसके लिए चार प्रखंडों की 331 महिला किसानों का चयन किया है। यहां 165 एकड़ में प्रति एकड़ 5400 मलवरी के पौधों के हिसाब से आठ लाख 91 हजार पौधे लगाए जाएंगे, जबकि सुपौल और मधेपुरा में कोकून तैयार होना भी शुरू हो गया है।
रेशम की खेती को लेकर महिला किसान रेशमा देवी, मधु देवी, ज्योति देवी, आरती देवी आदि काफी उत्साहित हैं। फिलवक्त जीविका के पूर्णिया जिले में लगभग तीन लाख सदस्य हैं, जिनमें सर्वाधिक महिलाएं हैं।
उत्पादन के साथ विपणन की व्यवस्था
परियोजना के एसडी मैनेजर ओम प्रकाश बताते हैं कि पूर्णिया जिला के चार प्रखंडों (बनमनखी, कसबा, जलालगढ़ और धमदाहा) की महिला किसानों का चयन इसके लिए किया गया है। हर किसान की 50 डिसमिल जमीन में मलवरी के पौधे लगाए जाएंगे। इसके लिए मनरेगा द्वारा 34 मानव दिवस सृजित किए जाएंगे तथा किसान को एक साल में सौ दिन की मजदूरी के तौर पर 17700 रुपए दिए जाएंगे।
योजना तीन साल के लिए लागू होगी। ङ्क्षसचाई और खाद की व्यवस्था भी मनरेगा की तरफ से होगी। छह महीने में पौधे तैयार हो जाएंगे तो रेशम कीट पालन होगा। तैयार कोकून को पारंपरिक बुनकर केंद्र भागलपुर भेजकर रेशम के वस्त्र उत्पादन को प्रोत्साहित किया जाएगा।
उद्योग विभाग के महाप्रबंधक ई. केशरी कुमार मिश्रा का कहना है कि इसके विपणन की व्यवस्था भी की जाएगी।