समर्थन मूल्य से 325 रुपये कम के भाव में बिक रहे किसानों के गेहूं
कटिहार। किसानों की आमदनी दोगुनी करने की केंद्र एवं राज्य सरकार की कवायद जारी है। इ
कटिहार। किसानों की आमदनी दोगुनी करने की केंद्र एवं राज्य सरकार की कवायद जारी है। इसको लेकर सरकार की तरफ से कई योजनाएं भी चलाई जा रही है। कई व्यवहारिक परेशानी के कारण किसानों का इसका समुचित लाभ नहीं मिल पाता है। फिलहाल किसान अपनी आवश्यकता के चलते तैयार गेहूं की फसल बाजार में ही समर्थन मूल्य से 325 रुपए कम 16 सौ रुपए क्विंटल के भाव से बेचने को मजबूर हो रहे हैं। क्षेत्र में अधिकांश गेहूं की फसल तैयार भी हो चुका है। इस स्थिति को लेकर किसान सरकार की व्यवस्था पर भी सवाल उठा रहे हैं।
इधर सहकारिता विभाग ने 15 अप्रैल से 15 जुलाई तक गेहूं खरीद का समय निर्धारित किया है। बिहार छोड़कर सभी राज्यों में एक अप्रैल से खरीदारी शुरू हो चुकी है। विभागीय लचर व्यवस्था का खामियाजा किसानों को भुगताना पड़ रहा है। जिस कारण किसान औने-पौने दामों पर गेहूं बिचौलियों के हाथों बेचने को विवश हैं। धान और मक्का के बाद गेहूं की खेती इस क्षेत्र में अधिक की जाती है। इस खेती के भरोसे किसान अपनी निजी जरूरतों को पूरा करते हैं। गेहूं की खरीद शुरू नहीं होने से किसान अगले फसल की खेती करने, बैंक एवं महाजनों के कर्ज चुकाने के लिए उत्पादित गेहूं औने-पौने दाम में बेच रहे हैं। दूसरी ओर शादी-विवाह को लेकर भी किसान सरकारी दर से कम कीमत पर गेहूं बेचने को मजबूर हैं। सरकार ने गेहूं का समर्थन मूल्य 1925 रुपये प्रति क्विटल निर्धारित किया है। प्रखंड के किसान अपनी फसल को बेचने के लिए टकटकी लगाए हुए हैं। प्रखंड में अभी तक गेहूं की अधिप्राप्ति केन्द्र नहीं खुलने से परेशान किसान फिलहाल औने पौने दाम पर गेहूं बेचने को मजबूर हो रहे हैं। फलका प्रखंड सोहथा उत्तर पंचायत के युवा किसान ने बताया कि इस बार फसल भी अच्छी हुई है। उनका ढाई बीघा का गेंहू तैयार हो गया है। बाजार में कीमत अभी मात्र 16 सौ रुपये प्रति क्विटल है। अगले फसल की चिता है। अगर जल्द पैक्स में खरीदारी शुरू नहीं हुई तो मजबूरन खुले बाजार में कम कीमत पर बेचना पड़ेगा। वहीं युवा किसान अमित वत्सल ने बताया कि गेहूं फसल लोगों का लगभग तैयार हो चुका है। जरूरत है क्रय केंद्र खोलने की ताकि किसानों को सरकारी समर्थक मूल्य का लाभ मिल सकेगा। किसान मु. अफरोज बताते हैं कि जब किसान धान बेच लिया तब धान खरीदारी शुरू की गई। वैसे ही किसानों का गेहूं तैयार हो चुका है। सरकारी खरीदारी कब शुरू होगा इसको लेकर किसान पैक्स या ब्लॉक के चक्कर काट रहे हैं। उनका कहना था कि पैक्स अध्यक्ष बताते हैं कि गेहूं खरीदारी का अभी तक विभागीय निर्देश नहीं मिला है। केलांचल के नाम से विख्यात फलका प्रखंड में पहले केले की प्रमुखता से खेती होती थी। पनाबिल्ट नामक रोग ने इसका रकवा साफ घटा दिया है। केले खेती से विमुख किसान अब धान और मक्का के अलावा गेहूं की खेती प्रमुखता से करते हैं। कृषि विभाग के अनुसार प्रखंड में 11 सौ हेक्टेयर भूमि में गेंहू की खेती की गई है।
क्या कहते हैं अधिकारी:
बीसीओ सोयम चक्रमणि कनिष्क ने बताया कि गेहूं की खरीदारी संबंधी कोई भी निर्देश उन्हें प्राप्त नहीं हुआ है। विभाग से आदेश प्राप्त होते ही क्रय का लक्ष्य निर्धारित कर खरीददारी शुरू कर दी जाएगी।