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40 लाख खर्च के बाद भी पनामा बिल्ट से नहीं मिल पाई है निजात

तौफीक आलम फलका (कटिहार) केलांचल के नाम से कभी मशहूर रहे सीमांचल इलाके में पनामा बिल्ट नामक रोग के चलते किसानों को केले की खेती छोड़नी पड़ गई। कभी इस क्षेत्र के लिए केला प्रमुख नकदी फसल थी। सीमांचल के कई सांसद व विधायक ने अपने-अपने सदनों पर किसानों की इस समस्याओं को रखा।

By JagranEdited By: Published: Sun, 28 Nov 2021 09:59 PM (IST)Updated: Sun, 28 Nov 2021 09:59 PM (IST)
40 लाख खर्च के बाद भी पनामा 
बिल्ट से नहीं मिल पाई है निजात
40 लाख खर्च के बाद भी पनामा बिल्ट से नहीं मिल पाई है निजात

तौफीक आलम, फलका (कटिहार): केलांचल के नाम से कभी मशहूर रहे सीमांचल इलाके में पनामा बिल्ट नामक रोग के चलते किसानों को केले की खेती छोड़नी पड़ गई। कभी इस क्षेत्र के लिए केला प्रमुख नकदी फसल थी। सीमांचल के कई सांसद व विधायक ने अपने-अपने सदनों पर किसानों की इस समस्याओं को रखा। तब किसानों को इस पीड़ा से उबारने के लिए केंद्र सरकार की पहल पर नेशनल रिसर्च सेंटर ऑफ बनाना त्रिपुरम तमिलनाडु अनुसंधान केंद्र से विज्ञानियों का छह सदस्यीय दल तीन साल से लगातार अनुसंधान में जुटा हुआ है। इसके लिए वर्ष 2018 में जिले के फलका प्रखंड के युवा किसान अमित वत्सल के एक एकड़ खेत में कुल 317 प्रजातियों पर शोध किए गए थे। अनुसंधान पर तकरीबन 40 लाख रुपये खर्च हुए। इसमें महज एक प्रजाति नेद्रम पर ही पनामा बिल्ट बीमारी बेअसर रही। यहां भी शेष 316 प्रजाति को पनामा बिल्ट रोग ने अपने गिरफ्त में ले लिया।

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कृषि विज्ञानी डॉ. रमाकांत सिंह ने बताया कि इलाके में केले का चिप्स बनाने का प्रचलन नहीं है। यहां लोग खाने या सब्जी बनाने के लिए ही केले का प्रयोग करते हैं। इस कारण किसानों को यह प्रजाति रास नहीं आई।

सीमांचल अंतर्गत पूर्णिया प्रमंडल के चारों जिले में करीब 15 से 20 हजार हेक्टेयर में किसान केला की खेती करते थे लेकिन एक दशक वर्ष पूर्व केले की खेती पर पनामा बिल्ट रोग का साया पड़ा और किसान इस खेती से विमुख हो गए। इस रोग का प्रकोप खासकर तब होता है जब केला पूर्ण तैयार हो जाता है। इसके बाद अचानक ही खांनी और पेड़ पीलिया का शिकार होकर बर्बाद हो जाता है। हालांकि कई बार सबौर व पटना से कृषि वैज्ञानिक टीम ने इस रोग की जांच की और सरकार को रिपोर्ट दी। बाद में केंद्र सरकार की पहल पर अनुसंधान केंद्र बना, लेकिन रोकथाम का कोई ठोस उपचार नहीं निकल सका।

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क्या कहते हैं किसान:-

पनामा बिल्ट रोग का समाधान अभी तक नहीं हो पाया है जबकि केले से चिप्स तैयार होता है। इसबार फिर एक एकड़ में पुन: 117 प्रजातियों पर शोध का कार्य शुरू हुआ है। विज्ञानिको का दावा है कि इसबार सफलता मिलेगी।

अमित वत्सल, युवा किसान, फलका

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कहते हैं प्रभारी कृषि पदाधिकारी :-

पनामा बिल्ट लाइलाज बीमारी है। इसका कोई कारगर उपचार नहीं निकल पाया है। एक ही खेत में लंबे समय तक केले की खेती और अधिक रसायनिक खाद के प्रयोग से यह बीमारी होता है। अनुसंधान केंद्र के विज्ञानियों द्वारा दवा की खोज एक अच्छी पहल है।

रामपुकार पासवान, बीएओ फलका


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