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डीजल की कीमतों में वृद्धि से किसानों की बढ़ी परेशानी

संवाद सूत्र समेली (कटिहार) कोरोना काल में पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों ने आम आदमी की जेब पर बुरा असर डाला है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 01 Dec 2021 11:32 PM (IST)Updated: Wed, 01 Dec 2021 11:32 PM (IST)
डीजल की कीमतों में वृद्धि से किसानों की बढ़ी परेशानी
डीजल की कीमतों में वृद्धि से किसानों की बढ़ी परेशानी

संवाद सूत्र, समेली (कटिहार): कोरोना काल में पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों ने आम आदमी की जेब पर बुरा असर डाला है। वहीं किसानों के लिए तो यह बड़ी मुसीबत बन गया है। आधुनिकता के इस दौर में खेती ज्यादातर आधुनिक मशीनों से ही हो रही है। ऐसे में डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी होने से किसानों की मुश्किलें काफी बढ़ रही है। प्रखंड में कई किसान ऐसे भी हैं जो पंपसेट पर आश्रित होकर खेती करते हैं। उनके लिए जरूरी होता है कि समय से सब कुछ करें तभी वह खेती कर पाएंगे। ऐसे में डीजल के बढ़े हुए दामों ने किसानों की परेशानी को बढ़ा दी है। खेतों की जुताई की बात हो या खाद की ढुलाई सब कुछ महंगा हो गया है। किसान चितित है कि इतनी महंगी खेती कर लागत खर्च कैसे निकाला जाए। पहले ही कोरोना की वजह से किसान आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। ऊपर से कमरतोड़ महंगाई में इनकी परेशानी को और बढ़ा कर रख दी है। पिछले साल की तुलना में इस बार खेती का खर्च काफी बढ़ गया है। महंगे डीजल का असर खेती पर देखने को मिल रहा है। ट्रैक्टर मालिकों ने बताया कि डीजल महंगा होने से पिछले साल की तुलना में इस साल 10 प्रतिशत से ज्यादा भाड़े में वृद्धि की गई है। डीजल की लगातार बढ़ती कीमत से खेती का बजट भी बिगाड़ दिया है। किसान गेहूं ,मक्का की फसल अपने खेतों में लगाने की तैयारी में जुटे हुए हैं। ऐसे किसानों को अपने खेतों की जुताई के लिए ट्रैक्टर का भाड़ा अधिक चुकाना पड़ रहा है। वहीं किसान बिनोद मंडल, शंभूनाथ मंडल, साधन कुमार शर्मा, पंकज यादव, विपिन मंडल, बेचन मंडल, त्रिवेणी मंडल, जयनारायण यादव, सूर्यदेव मंडल, महेश्वरी प्रसाद सिंह, पंचलाल मंडल, शिवचरण मंडल, ब्रजेश ठाकुर, विभूति ठाकुर, अरविद मंडल सहित अन्य किसानों का कहना है कि कोरोना महामारी के बीच डीजल के दाम में अप्रत्याशित वृद्धि से तो हर कोई आहत है। पिछले वर्ष डीजल 80 रुपये प्रति लीटर था तब खेत की जुताई 1000 प्रति बीघा तक था। लेकिन इस वर्ष डीजल की कीमत 100 के पार होने को है। ऐसे में खेतों की जुताई प्रति बीघा 1200 से 1500 तक पहुंच गई है। खेती करने में पहले से ही लागत खर्च अधिक होने के कारण मुश्किल होता जा रहा है। ऐसे में रही कसर डीजल की महंगाई ने पूरी कर दी है। डीजल की कीमत बढ़ने से पंपसेट लगाना भी महंगा पड़ने लगा है। मिट्टी की भराई हो या खाद की ढुलाई सभी के लिए भाड़ा अधिक चुकाना पड़ रहा है।

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