सामुदायिक नलकूप योजना से लाभान्वित होंगे सीमांत किसान
कटिहार। जिले में धान-गेहूं के अलावा सब्जी या फलदार पौधों की खेती करने वाले सीमांत किसानो
कटिहार। जिले में धान-गेहूं के अलावा सब्जी या फलदार पौधों की खेती करने वाले सीमांत किसानों को भी सिचाई की समुचित व्यवस्था मुहैया होगी।
सामुदायिक नलकूप योजना का लाभ ऐसे किसानों को दिया जाएगा। इसमें छोटे और सीमांत किसान समूह का गठन कर इसका लाभ ले सकते हैं। इसमें न्यूनतम 12.5 एकड़ रकवा पर इस योजना का लाभ दिया जाएगा। इसमें बोरिग, भवन व इलेक्ट्रानिक पंप भी विभाग के स्तर से दिया जाएगा और ड्रिप या मिनी स्प्रिंकल तकनीक का लाभ दिया जाएगा।
इस योजना का लाभ जिला उद्योग विभाग की देखरेख में क्रियान्वित होगी। कम से कम आधा एकड़ वाले किसान भी समूह के जरिये इस योजना का लाभ ले सकते हैं। धान-गेहूं के अलावा सब्जी या फलदार पौधों की खेती करने वाले किसान भी इससे लाभान्वित होंगे। योजना के तहत यदि किसी गांव में किसान समूह में उद्यानी खेती करते हैं तो उन्हें प्राथमिकता से सामुदायिक नलकूप योजना से जोड़ा जाएगा।
ड्रिप या मिनी स्प्रिंकल तकनीक मिलेगा लाभ :
सामुदायिक नलकूप का लाभ लेने के लिए कम से कम आठ किसानों को समूह में खेती करनी है। इसके लिए कम से कम 12.5 एकड़ खेती योग्य जमीन का कलस्टर तैयार करना होगा। इन किसानों को अपनी पसंद की खेती के लिए पटवन के लिए ड्रिप या मिनी स्प्रिंकल तकनीक का भी लाभ भी दिया जाएगा। सामुदायिक नलकूप योजना का लाभ उन्हीं किसानों को मिलेगा जो ड्रिप या मिनी स्प्रिंकल तकनीक का उपयोग करेंगे। ड्रीप या मिनी स्प्रिंकलका पाइप बिछाने में किसानों को कुल लागत राशि का 90 फीसद अनुदान दिया जाएगा।
कैसे मिलेगा लाभ:
आस पास के एसे किसानों को जिला उद्यान कार्यालय में एक आवेदन देना होगा। विभाग द्वारा इन किसानों के बीच बैठक कर समूह का निर्माण कर अध्यक्ष व अन्य सदस्यों का चयन किया जाएगा। इन्हीं में से किसी किसान के खेत में विभाग द्वारा बोरिग अधिकतम 208 फीट गहराई तक लगाने का प्रावधान है । इसमे एक सौ वर्गफीट का बोरिग भवन व इलूेक्टिक नलकूप भी लगाया जाएगा ।
कम पानी से बेहतर सिचाई को लेकर दिया जा रहा जोर
किसानों को कम पानी खर्च कर बेहतर सिचाई मुहैया कराने को लेकर इस योजना से लाभान्वित करने का निर्णय लिया गया है। सामुदायिक नलकूप योजना भी उसी दिशा सरकार की बड़ी पहल है। इससे छोटे रकवा वाले किसान भी लाभान्वित होंगे और वे अपनी मनपसंद खेती कर सकेंगे।