वन विभाग को नहीं मिला पौधारोपण का लक्ष्य, लगाए जाएंगे 500 पौधे
कटिहार। वनक्षेत्र की कमी और बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण के साथ ही बाढ़ और कटाव जैसी प्राक़ृतिक आपदा का
कटिहार। वनक्षेत्र की कमी और बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण के साथ ही बाढ़ और कटाव जैसी प्राक़ृतिक आपदा का सबब भी बन रहा है। पेड़ पौधों की अंधाधुध कटाई के कारण जलवायु परिवर्तन भी गंभीर संकट बनकर सामने आया है। हलांकि पौधरोपण को लेकर सरकारी,गैरसरकारी स्तर पर चलाए जा रहे अभियान के कारण लोगों में पर्यावरण संरक्षण को लेकर जागरूकता आई है। वन एवं पर्यावरण विभाग द्वारा गत वर्ष पांच लाख पौधरोपण का लक्ष्य रखा गया था। इसमें 2.5 लाख पौधे ही लगाए गए। जिले में वनक्षेत्र का रकवा बढ़ा है। पूर्व में 37 हेक्टेयर में वनक्षेत्र था। गोगाबिल झील को पक्षी अभ्यारण्य के रूप में अधिसूचित क्षेत्र घोषित किए जाने के बाद 42 एकड़ वनक्षेत्र में शामिल हो गया। वनक्षेत्र के रकवे में 42 एकड़ की वृद्धि हुई है। मनरेगा योजना से विभिन्न पंचायतों में कलस्टर तैयार कर पौधरोपण किया। लेकिन अधिकांश स्थानों पर लगाए गए पौधों की देखभाल नहीं होने के कारण अधिकांश पौधे मुरझा गए। कोरोना काल के कारण इस वर्ष विभागीय स्तर पर जिला स्तर पर किसी तरह का लक्ष्य निर्धारित नहीं किया गया है। लेकिन वन विभाग अपने स्तर से व सार्वजनिक स्थानों एवं सड़क किनारे पौधरोपण कर रहा है। पिछले वर्ष 236 पंचायत में पांच लाख पौधे लगाए जाने का लक्ष्य दिया गया था। इसमें महज 2.5 लाख पौधे ही लगाए गए थे। पर्यावरण दिवस पर शुक्रवार को 500 पौधा लगाया जाएगा। गोगाबील झील के 42 एकड़ में भी पौधा लगाया जा रहा है।