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बस चुनावी मुद्दा बनकर रह गया है रोशना का मलबरी फार्म

कटिहार। विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है वादों व घोषणाओं की बरसात भी शुरु है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 23 Oct 2020 09:45 PM (IST)Updated: Sat, 24 Oct 2020 05:05 AM (IST)
बस चुनावी मुद्दा बनकर रह गया है रोशना का मलबरी फार्म
बस चुनावी मुद्दा बनकर रह गया है रोशना का मलबरी फार्म

कटिहार। विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, वादों व घोषणाओं की बरसात भी शुरु है। कभी रेशम उत्पादन और शहतूत की खेती के लिए क्षेत्र में अपनी अलग पहचान रखने वाला प्राणपुर प्रखंड का रोशना बाजार स्थित मलबेरी फॉर्म एक बार फिर चुनावी मुद्दा बनता जा रहा है। रेशम उत्पादन के कारण क्षेत्र में कभी बृहत पैमाने पर खेती होती थी। इसके माध्यम से लोगों को रोजगार भी मिलता था। उन्नत कोटि के रेशम उत्पादन होने के कारण इसकी डिमांड अन्य राज्यों में भी होती थी। कई राज्यों से व्यापारी यहां रेशम की खरीद के लिए पहुंचते थे, लेकिन यह अब गुजरे जमाने की बात हो चुकी है। लगभग 20 वर्ष से रोशना में स्थित जलपरी फार्म बंद पड़ा हुआ है तथा खंडहर में तब्दील हो चुका है। रेशम उत्पादन के कारण कामगारों सहित स्थानीय लोगों को मिलने वाला रोजगार छिन गया है। कामगार रोजगार की तलाश में अन्य राज्यों में पलायन को विवश हैं। 20 वर्षों से जनप्रतिनिधि एवं अधिकारियों का ध्यान इस ओर नहीं हैं। इससे रोशना बाजार के ग्रामीणों में आक्रोश व्याप्त है। इस केंद्र के जीर्णोद्धार और संचालन की सुध नहीं ली गई। अपेक्षा के कारण फॉर्म स्थित स्प्रिंग मशीन जंग खा रही है। रेशम कीट के लिए जिस परिक्षेत्र में शहतूत की खेती होती थी, वह चारागाह बना हुआ है। जबकि केंद्र में जंगली लता और गंदगी का अंबार लगा हुआ है। बता दें कि चुनाव के दौरान मलबरी फॉर्म का संचालन और जीर्णोद्धार का मुद्दा उठता रहा है, लेकिन इसको लेकर किसी स्तर से पहल नहीं हो पाई। क्या कहते हैं ग्रामीण : निपम उपाध्याय, मनोज साह, रवि गुप्ता, डफली साह, अमित चौधरी, मनीष चौधरी, सुमन कुमार, सनेह गुप्ता, मिथिलेश चौधरी आदि ने कहा कि रेशम केंद्र से प्रखंड की अलग पहचान थी। उच्च गुणवत्ता के रेशम कीट उत्पादन के कारण इसकी काफी डिमांड थी, लेकिन सरकारी नीति और उपेक्षा के कारण यह बंद हो गया। हर बार चुनाव में इसको लेकर वादा किया जाता है, लेकिन चुनाव बीतते ही इसे भूला दिया जाता है।

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