सीमांचल में पर्यटन विकास की तैयार की गढ़ी जा रही रूपरेखा
कटिहार। सीमांचल में पर्यटन विकास की संभावनाओं को मूर्त रूप देने की कवायद शुरू हो गई है
कटिहार। सीमांचल में पर्यटन विकास की संभावनाओं को मूर्त रूप देने की कवायद शुरू हो गई है। गोगाबिल झील, गंगा-कोसी संगम स्थल, गोरखनाथ धाम मंदिर, अररिया इको पार्क, पूर्णिया का काझा कोठी तलाब, प्राचीन पूरण देवी मंदिर जैसे तमाम ऐतिहासिक व सांस्कृतिक महत्व के स्थलों की सूची तैयार की जा रही है। इसको लेकर इन स्थलों पर अब तक हुए कार्य, वहां की जरुरत और पर्यटन की संभावनाओं को लेकर हर आवश्यक पहल करने की कवायद शुरु हो गई है। खासकर उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद द्वारा इन मामलों को गंभीरता से लिए जाने के बाद इन स्थलों के सर्वांगीण विकास की उम्मीद और बढ़ गई है।
गोगाबिल झील व गंगा तट के विकास की जमीनी कवायद शुरु
उप मुख्यमंत्री की पहल के बाद कटिहार के मनिहारी अनुमंडल स्थित गोगाबिल झील पक्षी विहार व मनिहारी गंगा घाट के विकास की जमीनी कवायद शुरु हो चुकी है। गोगाबिल झील के विकास को लेकर वन एवं पर्यावरण विभाग के अधिकारियों का दौरा लगातार जारी है। प्रशासनिक स्तर से इस दिशा में पहल जारी है। जल्द ही विभागीय अधिकारियों की टीम के साथ उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद भी गोगाबिल झील का दौरा करने वाले हैं। इधर मनिहारी गंगा घाट के सुंदरीकरण को लेकर कवायद शुरु हो गई है। इसके अलावा गंगा-कोसी संगम तट के विकास को लेकर हुए कार्य की समीक्षा करते हुए आगे की रणनीति पर निर्णय लिया जाएगा।
पूर्णिया व किशनगंज में कई स्थलों के विकास की होगी कवायद
कटिहार के साथ-साथ पूर्णिया, अररिया और किशनगंज के कई स्थलों को पर्यटन केंद्र के रुप में विकसित करने की कवायद है। अररिया के इको पार्क को और विकसित करने की पहल होगी। इसके अलावा पूर्णिया के काझा कोठी तालाब जैसे स्थलों की महत्ता को संजीवनी प्रदान करने की कोशिश होगी।