कोरोना से बच्चों में बढ़ रहा तनाव
कटिहार। कोरोना संक्रमण का भय और ऑनलाइन पढ़ाई की विवशता का बच्चों की मनस्थिति पर
कटिहार। कोरोना संक्रमण का भय और ऑनलाइन पढ़ाई की विवशता का बच्चों की मन:स्थिति पर विपरीत असर हो रहा है।
इस संबंध में मनोचिकित्सक की राय है कि करीब 60 प्रतिशत बच्चे कोरोना काल में किसी न किसी तरह के मानसिक परेशानी का शिकार हो रहे हैं। बच्चों को मानसिक परेशानी से उबारने के लिए अभिभावकों को खास ध्यान देने तथा बच्चों के भीतर की ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में ले जाए जाने के लिए समय प्रबंधन की सलाह भी मनोविश्लेषक दे रहे हैं। ऑनलाइन पढ़ाई में बच्चों को अपने पाठ्यक्रम की समझ कम आ रही है। इसके कारण पढ़ाई में पिछड़ने का भय भी सता रहा है।
मनोविश्लेषक डॉ. आभा कुमारी बताती हैं कि बच्चे मानसिक तनाव में बहुत ज्यादा हैं। नतीजतन बच्चों की दिनचर्या पिछले एक वर्ष से कोरोना के कारण प्रभावित हो रही है। इसका असर उनकी पढ़ाई पर भी दिख रहा है।
सकारात्मक दिशा में नहीं जा रही बच्चों की ऊर्जा
स्कूल बंद होने के कारण बच्चे घर पर ही हैं। इसके कारण वे अपनी ऊर्जा सही दिशा में नहीं ले जा पा रहे हैं। इससे बच्चों में चिड़चिड़ापन हावी हो रहा है। पढ़ाई के साथ खेलकूद जैसे फिजिकल वर्क भी बच्चे नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में ऊर्जा का सही उपयोग बच्चे नहीं कर पा रहे हैं। उर्जा सकरात्मक रूप से खर्च नहीं हो पाने के कारण नकारात्मकता भी हावी भी हो रही है।
क्या है समस्या
- ऑनलाइन पढ़ाई से बच्चे परेशान हो रहे हैं। कुछ बच्चों से बातचीत में पाया गया कि ऑनलाइन पढ़ाई के वक्त एकाग्र नहीं हो पाते हैं। मन में कोरोना संक्रमण का भय भी रहता है। मोबाइल पर ऑनलाइन पढ़ाई के वक्त बच्चे ऑनलाइन गेम भी खेलने लगते हैं।
अभिभावक भी दें ध्यान
कोरोना संक्रमणकाल में अभिभावकों को अपने बच्चों पर खास ध्यान दिए जाने की जरूरत है। स्कूल एवं बच्चों की खेलकूद गतिविधि बंद रहने के कारण बच्चों की ऊर्जा घर में ही योग, व्यायाम एवं फिजिकल एक्सराइज के जरिए खर्च किए जाने की जरूरत है। बच्चों की रूटीन बनाकर समय प्रबंधन अभिभावक अवश्य करें। ऑनलाइन पढ़ाई करते वक्त बच्चों पर खास तौर पर नजर रखे जाने की जरूरत है।