सुंदरता की चाहत में छीन रही ममता
कटिहार। कही सुंदर दिखने की चाहत तो कही जागरूकता का अभाव बच्चों की ममता छीन रहा ह
कटिहार। कही सुंदर दिखने की चाहत तो कही जागरूकता का अभाव बच्चों की ममता छीन रहा है। मां का पहला गाढ़ा पीला दूध अमृत के समान है, जबकि छह माह तक बच्चों के लिए मां का दूध ही सर्वोत्तम आहार है। लेकिन आंकड़ों की मानें तो शहरी क्षेत्र के 30 फीसदी बच्चे को छह माह तक मां का दूध नहीं मिल पाता है। इसके पीछे का मुख्य कारण स्तनपान कराने वाली महिला शरीर के बेडौल होने व खुद को मेंटेन दिखाने की चाहत में स्तनपान कराने से परहेज करती है।
हर साल अगस्त महीने में स्तनपान सप्ताह का आयोजन कर महिलाओं को स्तनपान की महत्ता से अवगत कराकर उन्हें स्तनपान के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इसके लिए सेमिनार से लेकर विविध आयोजन व जागरूकता अभियान चलाया जाता है। जबकि अधिकांश महिलाओं को स्तनपान की महत्ता की जानकारी के बाद भी वे इससे परहेज करती हैं। जिसका असर बच्चों के मानसिक व बौद्धिक विकास पर होता है।
बच्चों के विकास के साथ कम होता है स्तन कैंसर का खतरा :
चिकित्सक की माने तो स्तनपान कराना केवल बच्चों के विकास के लिए ही आवश्यक नहीं वरन इससे महिलाओं में स्तन कैंसर के साथ गर्भाशय के कैंसर का खतरा भी कई गुणा तक कम हो जाता है। मां के दूध के नियमित सेवन करने वाले बच्चों में बीमारियों का खतरा भी कई गुणा तक कम होता है। जबकि छह माह नियमित स्तनपान करने से उनका समुचित विकास उत्तम रहता है। चिकित्सकों की माने तो स्तनपान कराने से शारीरिक बनावट में कोई खास प्रभाव नहीं पड़ता। जबकि विभिन्न माध्यम, व्यायाम व योग से शरीर को सुडौल बनाया जा सकता है।
स्वास्थ्य विभाग चलाता है जागरूकता अभियान :
जन्म के बाद बच्चे को मां का दूध मिलने को लेकर स्वास्थ्य विभाग पहल कर रहा है। इसको लेकर ममता कार्यकर्ताओं को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है। जबकि आशा कार्यकर्ता के माध्यम से भी बच्चे के जन्म के बाद महिलाओं को स्तनपान कराने के लिए प्रेरित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।