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बेदाग और शिक्षित उम्मीदवार को मिले मौका

कटिहार। पंचायत चुनाव की तिथि निकट आते जा रही है। इसके साथ ही चुनावी चर्चा भी जोर पकड़ने लगी है। गांव के चौपाल से लेकर चौक-बाजार में प्रत्याशी के भाग्य का आकलन होने लगा है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 22 Sep 2021 05:39 PM (IST)Updated: Wed, 22 Sep 2021 05:39 PM (IST)
बेदाग और शिक्षित उम्मीदवार को मिले मौका
बेदाग और शिक्षित उम्मीदवार को मिले मौका

कटिहार। पंचायत चुनाव की तिथि निकट आते जा रही है। इसके साथ ही चुनावी चर्चा भी जोर पकड़ने लगी है। गांव के चौपाल से लेकर चौक-बाजार में प्रत्याशी के भाग्य का आकलन होने लगा है। खासकर प्रखंड मुख्यालय चौक कुम्हरी में कदवा के 30 पंचायतों के निवर्तमान से लेकर संभावित प्रत्याशी के भविष्य की चर्चा हो रही है। अलग-अलग पंचायतों से पहुंचने वाले लोगों से संवाद स्थापित कर चाय पान एवं नाश्ते की दुकानों पर चर्चा को गति दी जाती है। चर्चा में किसी पंचायत के निवर्तमान के पुन: जीतने के कयास लगाए जा रहे हैं तो कहीं संभावित प्रत्याशी के बाजी मारने की भी चर्चा हो रही है। कदवा में 30 मुखिया, 30 सरपंच, चार जिला परिषद, 40 पंचायत समिति सदस्य के साथ 401 वार्ड सदस्य एवं वार्ड पंच सीट के लिए चुनाव होना है। यहां मतदान 29 नवंबर को होगा। बावजूद अभी से चर्चा के हिसाब से चुनाव की समा बंधने लगी है। लोग निवर्तमान के कार्यकाल से लेकर उसकी कमाई तक की भी चर्चा कर रहे हैं। साथ हीं विभिन्न पंचायतों में मतदाताओं के जातिगत संख्या भी चुनावी चर्चा में होती है जबकि कई जगहों पर आरक्षित सीटों की भी चर्चा हो रही है। चौक पर चर्चा करते हुए कुम्हरी निवासी शैलेश ठाकुर ने बताया कि पंचायत के विकास हेतु शिक्षित एवं बेदाग छवि के लोगों को मौका मिलना चाहिए द्य जबकि मु याकूब ने चर्चा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि पंचायत प्रतिनिधि जाति से ऊपर उठकर विकास करने वाला होना चाहिए। वहीं चाय की चुस्की लेते हुए चौकी के अखिलेश साह ने कहा कि जनता के दुख सुख में साथ रहकर जो प्रतिनिधि विकास करे, ऐसे लोगों का चयन किया जाना चाहिए। जबकि मुन्ना आलम ने कहा पांच वर्षों के बाद मौका मिलता है। इसमें लोगों को समझदारी पूर्वक मतदान कर पंचायत का भविष्य तय किया जाना चाहिए। जबकि समाजसेवी रविन्द्र ठाकुर ने कहा कि ऐसे व्यक्ति का चयन प्रतिनिधि के रुप मे किया जाना चाहिए, जिससे पंचायत के विकास के साथ पंचायती राज व्यवस्था की अवधारणा सार्थक हो। तमाम तरह की चुनावी चर्चा के साथ चौक बाजार की दुकानें गुलजार हो रही है। लोग चर्चा के साथ संभावित प्रत्याशी के आकलन को लेकर भी चौक, चौपाल पर बैठकी बढ़ा दिए है द्य तर्क वितर्क का दौर जारी है। मजे हुए राजनीतिक विश्लेषक की तरह लोग अपने हिसाब से प्रत्याशी का भविष्य तय कर रहे हैं।

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