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कैमूर में पोषाहार पाने में लाभुकों के लिए ओटीपी बनी गंभीर समस्या

आंगनबाड़ी केंद्रों पर गर्भवती धातृ महिलाएं व कुपोषित बच्चों को प्रतिमाह मिलने वाला पोषाहार अब ओटीपी के चक्कर में बहुतों को नहीं मिल पा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 15 Jan 2021 05:16 PM (IST)Updated: Fri, 15 Jan 2021 05:16 PM (IST)
कैमूर में पोषाहार पाने में लाभुकों के लिए ओटीपी बनी गंभीर समस्या
कैमूर में पोषाहार पाने में लाभुकों के लिए ओटीपी बनी गंभीर समस्या

कैमूर। आंगनबाड़ी केंद्रों पर गर्भवती, धातृ महिलाएं व कुपोषित बच्चों को प्रतिमाह मिलने वाला पोषाहार अब ओटीपी के चक्कर में बहुतों को नहीं मिल पा रहा है। आइसीडीएस निदेशालय ने ओटीपी के आधार पर ही लाभुकों को पोषाहार देने की नई व्यवस्था सुनिश्चित की है। बगैर ओटीपी के पोषाहार नहीं मिलने से गरीब लाभुकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आइसीडीएस निदेशालय के फैसले के अनुसार सेविकाओं के साथ-साथ लाभुकों को भी इसी ओटीपी योजना की परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। क्योंकि बिना ओटीपी जांच किए सेविका द्वारा पोषाहार का वितरण किया जाना संभव नहीं है। आंगनबाड़ी केंद्रों से प्रत्येक माह मिलने वाले पोषाहार को पानी वाले अधिकांश गरीब तबके के लोग ही है। जिसमें महिलाएं बच्चे व गर्भवती महिलाएं शामिल हैं। इनमें से अधिकांश लाभुकों के पास मोबाइल जैसी सुविधा नहीं है। जिससे वह निदेशालय द्वारा लागू की गई व्यवस्था में शामिल होकर योजना का लाभ पा सकें। क्योंकि आइसीडीएस विभाग द्वारा यह योजना बीते वर्ष 2020 में नवंबर माह में लागू की गई थी। लागू की गई योजना के मुताबिक ओटीपी के माध्यम से 66 प्रतिशत लाभुकों के बीच पोषाहार का वितरण सुनिश्चित किया गया है। मिली जानकारी के अनुसार पोषाहार का वितरण प्रत्येक माह की 15 तारीख को किया जाता है। इस माह का भी पोषाहार वितरण करने के लिए आंगनबाड़ी सेविकाओं द्वारा चयनित सूची के आधार पर वितरण सुनिश्चित किया जाएगा। जिले में 44 931, लाभुकों की जांच सेविकाओं द्वारा पूरी कर ली गई है। जिसमें से 85067 लाभुकों का टोकन प्राप्त हो गया है। ओटीपी मिला नहीं होने के कारण 50 प्रतिशत से अधिक लाभुकों को पोषाहार योजना के लाभ से वंचित होना पड़ रहा है। कुछ लाभुकों का यह भी कहना है कि ओटीपी के अलावा लाभुकों की सुविधा के लिए सरकार को आंगनबाड़ी केंद्रों पर पॉस मशीन की व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए। ताकि उसके अंगूठे से पहचान कर लाभुकों को दिए जाने वाले पोषाहार का लाभ मिल सके।

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