दो विभागों को दी गई एक ही जमीन की एनओसी
पेज तीन फोटो नंबर- 06 - सदर प्रखंड कार्यालय के पास खाली जमीन में बनना है खेल भवन सह व्यायामशाला - उसी जमीन पर तत्कालीन सीओ के एनओसी पर बन रहा था जनसुविधा केंद्र संवाद सहयोगी भभुआ जिले में एक मामला ऐसा सामने आया है जहां एक पद पर स्थित रहते हुए अपने अपने समय में दोनों सीओ
जिले में एक ऐसा मामला सामने आया है जहां एक पद पर रहते हुए अपने-अपने समय में दोनों सीओ ने एक ही जमीन पर दो अलग-अलग भवन बनाने के लिए एनओसी दिया है। वह भी किसी एक को नहीं बल्कि दोनों भवन के लिए। मामले को देखते हुए डीएम डॉ. नवल किशोर चौधरी ने उस कार्य पर तत्काल रोक लगा दी है और नए जगहों की तलाश होने लगी है। संभवत: सदर प्रखंड कार्यालय के पास में बना हुआ पुराना गोदाम को गिराकर ही नया जन सुविधा भवन बनाया जाएगा। बहरहाल अब कार्य रूका हुआ है। आगे क्या होगा यह देखना होगा। मामला अब दो विभागों से जुड़ा हुआ है। जन सुविधा केंद्र वाली जमन के अंदर से पिलर देने तक काम लगभग पूरा होने वाला है। ऐसे में संवेदक का लगभग एक लाख रूपये नुकसान होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
विधिवत सभी आंकड़ा के साथ जमीन का विवरण भी है जमा-
सदर प्रखंड के सीओ पर भी इस मामले में प्रश्न उठता है कि एक जमीन के लिए दो अलग अलग विभाग को एनओसी कैसे दे दिया गया। मिली जानकारी के मुताबिक छात्र एवं युवा कल्याण, कला संस्कृति एवं युवा विभाग की ओर से खेल भवन सह व्यायामशाला बनवाने के लिए जमीन मांगी गई थी। उसके बाद डीएसओ ने इस बारे में डीएम को अवगत कराते हुए जमीन मांगा। बाद में अपर समाहर्ता ने नगर में जमीन उपलब्ध कराने की बात कही। इस पर तत्कालीन सीओ आदित्य कुमार सिंह ने नगर के सदर प्रखंड के पास में स्थित जमीन का चयन कर उसका खाता, मौजा रकबा आदि अपर समाहर्ता को उपलब्ध करवाया था। जिसमें विलारो मौजा के 442 थाना संख्या के खाता संख्या 191, खेसरा 129 और रकबा 0.51 एकड़ की जमीन थी। उस जमीन का मालिक प्रखंड विकास पदाधिकारी बिहार सरकार बताया था। उस समय बीडीओ की सहमति पर उस जमीन का एनओसी सीओ ने दे दिया। उसके बाद डीएम ने इस बारे में एक पत्र कला संस्कृति विभाग को भेजा। उसके बाद दूसरे पत्र में उन्होंने जर्जर भवन को भी गिरा कर समतलीकरण कराने के बाद भवन निर्माण कराने की बात कही। इसी बीच जनसुविधा केंद्र बनने की बात सामने आई। एमएलसी फंड से प्राप्त राशि के बाद जिला योजना विभाग ने भवन निर्माण विभाग को कार्य सौंप दिया। लेकिन उसकी जमीन की उपलब्धता कराने के लिए सीओ को भवन निर्माण विभाग ने लिखा। इस पर सीआइ ने अपनी रिपोर्ट बनाते हुए विलारो मौजा के ही उसी जमीन पर भवन बनाने के लिए बताया। उसमें सीआइ ने लिखा की वह जमीन प्रखंड की है। अगर प्रखंड कार्यालय को कोई आपत्ति न हो तो उस पर प्रतिक्षालय बन सकता है। उसके बाद भवन निर्माण विभाग की ओर से उक्त स्थल से जर्जर भवन को हटाते हुए कार्य प्रारंभ करवाया गया। जब इस बात का पता चला तो डीएम ने उस कार्य को बंद करवाया। लेकिन बड़ी बात है कि एक ही जमीन के लिए दो विभागों को अंचल कार्यालय से कैसे एनओसी दे दिया गया। इससे स्पष्ट होता है कि एनओसी संबंधित फाइलों को संरक्षित नहीं किया जाता। जब एक विभाग की ओर से दो विभागों को एनओसी मिल सकता है तो ऐसे में आम लोगों के कार्यों में कितनी लापरवाही बरती जाती होगी यह सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।