कैमूर में रोजगारपरक खेती कर समृद्ध हो रहे किसान
जिले में कृषि विभाग की संचालित कल्याणकारी योजना से किसान लाभान्वित होकर परंपरागत खेती के अलावा बागवानी की ओर रुझान कर आर्थिक रूप से समृद्धशाली बन रहे हैं।
भभुआ: जिले में कृषि विभाग की संचालित कल्याणकारी योजना से किसान लाभान्वित होकर परंपरागत खेती के अलावा बागवानी की ओर रुझान कर आर्थिक रूप से समृद्धशाली बन रहे हैं। किसानों को बागवानी करने के लिए अनुदानित दर पर पेड़ों के साथ लागत की राशि उपलब्ध कराई गई है। इसका परिणाम यह रहा कि आम, पपीता, केला, अमरूद सहित अन्य फलों की बागवानी करने के लिए किसानों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। वहीं दूसरी तरफ भूमि संरक्षण विभाग पहाड़ी क्षेत्रों में जल संरक्षण की कवायद के लिए भी पक्का व कच्चा चेकडैम बना कर जल संरक्षण का कार्य किया है। जिससे पहाड़ी क्षेत्रों में अब पहाड़ों के निकट खेतों में हरियाली दिखाई पड़ रही है। वहीं कृषि विभाग किसानों को रबी व खरीफ फसलों के लिए विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत बीज की उपलब्धता सुनिश्चित कराई है।
कैमूर जिले में रबी वर्ष 2020-21 के अंतर्गत 27 हजार हेक्टेयर में गेहूं बोआई का लक्ष्य निर्धारित की गई है। जबकि जौ 1300 हेक्टेयर, चना 85 सौ हेक्टेयर, मसूर 75 सौ हेक्टेयर, 1000 हेक्टेयर में मटर जबकि तेलहन फसलों का लक्ष्य सरसों का 2710, तीसी 1700 हेक्टेयर का लक्ष्य निर्धारित है। इसके अलावा मुख्यमंत्री तीव्र बीज विस्तार योजना से 401.40 क्विटल, श्री विधि धान प्रत्यक्षण से 10.50 क्विटल, तनावरोधी 53 क्विटल, जीरो टिलेज से 94.92 क्विटल, एचवाइवी धान बीज 174.36 क्विटल, संकर धान बीज 180.60 क्विटल वितरित किया गया है। इसके अलावा रबी वर्ष 2021-22 के लिए गेहूं का 6616.19, चना बीज 1336.68, मसूर 385.97, सरसों का 57.50 क्विटल बीज वितरित किया गया है। वहीं मुख्यमंत्री बागवानी मिशन के तहत आम 12 हेक्टेयर, अमरूद 15 हेक्टेयर, पपीता 10 हेक्टेयर, केला पांच हेक्टेयर में बागवानी करने का लक्ष्य रखा गया है। जबकि एकीकृत उद्यान विकास योजना से अनार 60 हेक्टेयर, नींबू 40 हेक्टेयर, संतरा 20 हेक्टेयर का लक्ष्य रखा गया है। जिले में खेती को सुदृढ़ करने के लिए पीएम कृषि सिचाई योजना अंतर्गत 175.56 एकड़ में सिचाई की व्यवस्था की गई है।
किसानों को दिया जा रहा प्रशिक्षण
आत्मा के द्वारा जिले के किसानों को उन्नत खेती के अलावा रोजगारपरक खेती करने के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके लिए आत्मा द्वारा किसानों को जिला व राज्य के बाहर भेज कर प्रशिक्षण दिलाया जा रहा है। जिसमें मधुमक्खी पालन, मशरूम, बकरी पालन सहित अन्य कार्य शामिल हैं।
जिले में एक साल से नहीं लगा कृषि मेला
कोरोना काल के चलते इस वर्ष जिले में एक बार भी कृषि मेला का आयोजन नहीं किया जा सका। जिसके चलते किसानों को अनुदानित दर पर किसी प्रकार का कोई कृषि यंत्र नहीं उपलब्ध हो सका। किसानों को अपनी पूंजी लगा कर आवश्यकता के अनुसार कृषि यंत्र खरीदना पड़ा। इससे किसानों की खेती पर भी प्रभाव पड़ा।
खाद की कमी से जूझते रहे किसान
जिले में धान की खेती हो या रबी फसल की दोनों सीजन में किसान खाद के लिए जूझते रहे। केंद्र पर लंबी-लंबी लगी लाइनों में खड़ा होने के बाद भी किसानों को पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध नहीं हो सकी। इससे किसानों की खेती के साथ उत्पादन पर भी प्रभाव पड़ा है।