जिले के पांच वर्ष से कम वाले 53.8 प्रतिशत बच्चे कुपोषित
21.4 प्रतिशत बच्चों में अल्पवजन की शिकायत जासं भभुआ बच्चों में कुपोषण की वजह से बौनापन और अल्पवजन गंभीर समस्या है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 4- (15-16 ) के आंकड़ों के अनुसार कैमूर जिले में पांच वर्ष तक के 53.
बच्चों में कुपोषण की वजह से बौनापन और अल्पवजन गंभीर समस्या है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 4- (15-16 ) के आंकड़ों के अनुसार कैमूर जिले में पांच वर्ष तक के 53.8 प्रतिशत बच्चे हैं जो कुपोषण के कारण बौनापन के शिकार हैं और 21.4 प्रतिशत बच्चे पोषण में कमी के कारण अल्पवजन की गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं । इसकी शुरुआत बच्चे के जन्म से ही नहीं बल्कि उसके जन्म से पहले ही उसकी माता के कुपोषित होने से होती है। आइसीडीएस की जिला कार्यक्रम पदाधिकारी रश्मि कुमारी ने बताया कि कुपोषण की समस्या का समाधान करना एक गंभीर चुनौती है। जागरूकता का आभाव और सही खानपान की जानकारी न होना इसका प्रमुख कारण है। माता के गर्भकाल के शुरुआत के साथ ही उसके उचित आहार को सुनिश्चित कर नाटापन और अल्पवजन की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। गर्भवती स्त्री का पूरा और उचित पोषण यह सुनिश्चित करता है की उसका आने वाला शिशु पूरी तरह स्वस्थ होगा। जन्म के उपरांत छह महीने तक नवजात को सिर्फ मां का दूध देना शिशु के लिए सुरक्षा चक्र का काम करता है और उसे कई तरह की बीमारियों तथा संक्रमण से बचाता है। छह महीने के उपरांत शिशु को थोड़ी थोड़ी मात्रा में सुपाच्य भोजन तीन से चार बार देने से उसके शारीरिक और मानसिक विकास की बढ़ती जरूरतों की पूर्ति होती है तथा शिशु का कुपोषण से बचाव होता है। गर्भवती माता और शिशु का संपूर्ण टीकाकरण भी शिशु को स्वस्थ एवं सुपोषित रखने में अहम भूमिका निभाता है।