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सिर्फ खास मौके पर ही जलाशयों की लोगों को आती है याद

जलाशयों का महत्व लोगों के जीवन में कितना खास है यह सब जानते हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 18 Oct 2017 03:04 AM (IST)Updated: Wed, 18 Oct 2017 03:04 AM (IST)
सिर्फ खास मौके पर ही जलाशयों की लोगों को आती है याद
सिर्फ खास मौके पर ही जलाशयों की लोगों को आती है याद

कैमूर। जलाशयों का महत्व लोगों के जीवन में कितना खास है यह सब जानते हैं। लेकिन आज के समय में जलाशयों का महत्व लोगों को सिर्फ खास पर्व त्योहारों पर ही समझ में आता है। भभुआ नगर के विभिन्न तालाबों की स्थिति छठ के मौके पर भी नहीं सुधरी। नगर से होकर गुजरने वाली सुअरा नदी की हालत तो और खराब है। हालांकि नगर के तालाबों की जरूरत तो स्थानीय लोगों को कुछ खास नहीं होती। फिर भी जल संरक्षण व पर्यावरण संतुलन के दृष्टिकोण से जलाशयों की साफ-सफाई रखना बहुत जरूरी है। बीते दो वर्ष पूर्व गर्मी के मौसम में कैमूर जिला के विभिन्न प्रखंडों सहित भभुआ नगर का भू जल स्तर काफी नीचे चला गया था। इसका सबसे पहला कारण जलाशयों का संरक्षण न होना। नगर के सभी तालाबों का उपयोग यहां के स्थानीय लोग सिर्फ अपने कामों के लिए करते हैं। वो भी जलाशयों की सफाई का नहीं बल्कि उसमें गंदगी करने का।

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क्या है नगर के जलाशयों की स्थिति

सुअरा नदी- छठ पर्व के मौके पर यहां व्रतियों की काफी भीड़ होती है। नदी के बीच में बने पुल के दोनों तरफ लगभग चार-पांच गांवों की छठ व्रती पूजा करने आते हैं। छठ व्रत करने वाली महिलाओं के घर के लोग स्वयं परिश्रम कर सिर्फ नदी के उतने ही भाग की सफाई करते हैं जितनी दूरी में उनके घर की महिला व्रती पूजा-पाठ करेंगी। इस नदी के किनारे कूड़े का अंबार लगा हुआ है। नदी में जो पानी है उसमें कूड़े से गिरे पालीथीन या अन्य सामान बह रहे हैं। घाट पर घास उगी हैं। नदी के दोनों तरफ जो सीढ़ी बनी हैं उस पर कभी झाडू तक नहीं लगता। इस वर्ष छठ के मौके पर भी अब तक नगर परिषद की टीम सिर्फ एक बार सुअरा नदी पर गई है। यहां अभी किसी जनप्रतिनिधि या समाज सेवी ने सफाई कराने की पहल नहीं की।

चमन लाल पोखरा

भभुआ नगर के मध्य में स्थित चमन लाल पोखरा के आस-पास तो गंदगी का अंबार है ही पोखरा में भी कुछ कम नहीं। इस पोखरा के चारों तरफ कूड़े-कचरे का जमावड़ा दिखेगा। पूर्व में तो इस पोखरा के किनारे नगर परिषद द्वारा कूड़े का गिराव भी कराया जाता था। जिससे इस पोखरा में नगर के बहुत कम लोग ही छठ व्रत करते थे। इस वर्ष भी इस पोखरा की स्थिति कुछ ठीक नहीं है। पोखरा में पानी तो है लेकिन घाट पर फेंके गए पालीथीन और कचरा पानी के ऊपर दिखाई दे रहे हैं।

राजेंद्र सरोवर

नगर के राजेंद्र सरोवर की सुंदरता तो अन्य सभी जलाशयों से अच्छी है। लेकिन सिर्फ बाहर से। चारदीवारी निर्माण कराया गया। इसके बाद कोई काम हुआ नहीं। जबकि योजना तो बहुत बनी। इसके किनारे ईंटीकरण करा कर बना रास्ता भी आज ठीक हालत में नहीं है। पिछले पांच माह से इसमें पानी भी नहीं था। छठ के मौके पर इसमें बोरिंग से पानी भरा गया। वहीं छठ व्रतियों की व्यवस्था के लिए बनी पूजा समिति के कार्यकर्ताओं द्वारा भी वर्ष में एक बार तालाब व पोखरों की सफाई का कार्य किया जाता है। उसके बाद इन जलाशयों की कोई भी सुधि लेने वाला नहीं दिखाई देता।

क्या कहते हैं नप सभापति

इस संबंध में पूछे जाने पर नप सभापति जैनेंद्र कुमार आर्य ने बताया कि नगर के सभी जलाशयों के संरक्षण के लिए योजना बनाई जा रही है। छठ पर्व पर सभी जलाशयों की सफाई कराई जा रही है। नप की टीम इसका निरीक्षण भी कर रही है। सफाई कर्मी लगे हुए हैं। नगर में डोर टू डोर कूड़े का उठाव कराने का काम शुरू करा दिया गया है। लोगों को भी जागरूक होना होगा कि कूड़े - कचरे को इधर-उधर नहीं फेंके।


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