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पाकिस्तान से आई गीता की जन्मभूमि और माता-पिता की जारी है तलाश

जमुई। कभी अखबारों एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की सुर्खियां बनी गीता आज इंदौर के निश्शक्तता छात्रावास में गुमनामी की जिदगी जी रही है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 11 Aug 2020 07:11 PM (IST)Updated: Tue, 11 Aug 2020 07:11 PM (IST)
पाकिस्तान से आई गीता की जन्मभूमि और माता-पिता की जारी है तलाश
पाकिस्तान से आई गीता की जन्मभूमि और माता-पिता की जारी है तलाश

जमुई। कभी अखबारों एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की सुर्खियां बनी गीता आज इंदौर के निश्शक्तता छात्रावास में गुमनामी की जिदगी जी रही है। पाकिस्तान से भारत वापस आई मूकबधिर दिव्यांग युवती गीता की जन्मस्थली तथा उसके माता-पिता की तलाश एक बार फिर से की जा रही है। इस प्रयास में सफलता मिलती है या नहीं, यह दीगर बात है, लेकिन इस बार राज्य निश्शक्तता आयुक्त बिहार डॉ. शिवाजी कुमार ने राज्य के तमाम जिला पदाधिकारियों से लेकर अन्य अधिकारियों को उसके मूल गृह स्थान व माता-पिता को खोजने में सहयोग का अनुरोध किया है। निश्शक्तता आयुक्त ने इसके साथ ही दो अन्य मूकबधिर दिव्यांग के संबंध में भी जानकारी प्राप्त करने को कहा है। जमुई के जिलाधिकारी धर्मेंद्र कुमार ने भी रेलवे स्टेशन के समीप के गांव से जानकारी इकट्ठा करने का निर्देश अधिकारियों को दिया है।

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गांव के मंदिर में विराजमान है देवी मां की विशाल मूर्ति

बीते 20 जुलाई से मध्य प्रदेश इंदौर में संचालित संस्था आनंद सर्विस सोसायटी में गीता को रखा गया है। संस्था की सचिव ज्ञानेंद्र मोनिका पुरोहित ने राज्य निश्शक्तता आयुक्त को पत्र प्रेषित करते हुए कहा है कि 17-18 वर्ष पूर्व भारत से भटकते हुए पाकिस्तान पहुंच गई गीता के अनुसार उसका लोकेशन बिहार और झारखंड प्रतीत होता है। वह इशारों में बताती है कि उसकी मां उसके जैसी ही दिखती है तथा वह कुल 5 भाई-बहन है। उसके पिता कृषि कार्य करते हैं और घर के पास रेलवे स्टेशन है। उसके गांव में एक मंदिर भी है, जिसमें देवी मां की विशाल मूर्ति विराजमान है। मंदिर के पास ही नदी प्रवाहित होने की बात इशारों में गीता बताती है। उसके अनुसार बचपन में फिल्म की शूटिग के दौरान अमरीश पुरी से उसकी मुलाकात भी हुई थी।

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दो अन्य मूक बधिर के ठिकाने की तलाश

27 वर्ष की कमलजीत भगत पूरन सिंह मूक बधिर विद्यालय पिगलवाड़ा में रह रही है। बताती है कि लगभग 15 वर्ष पूर्व गुम हो कर वह अमृतसर पहुंच गई थी। उसे बचपन का नाम भी याद नहीं। कमलजीत (बदला नाम) के मुताबिक वह मुस्लिम समाज से आती है और उसकी मां और पांच बहनें भी मूकबधिर है। उसके पिता गाय और बैल की फेरी करते थे। एक अन्य 20 वर्ष के मूक बधिर बालक के भी माता पिता की तलाश में सहयोग की अपेक्षा जताई गई है। यह युवक 13 वर्ष की उम्र में गुम हुआ था।

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इन्हें भी लिखा गया पत्र

निश्शक्तता आयुक्त ने राज्य के सभी जिला पदाधिकारियों के अलावा जिला सामाजिक सुरक्षा सह दिव्यांग जन सशक्तीकरण कोषांग के सहायक निदेशक, बुनियाद केंद्र और जीविका के जिला प्रबंधक, दिव्यांगता परिक्षेत्र में कार्यरत सभी निबंधित स्वयंसेवी संस्थान, सिविल सोसायटी के प्रतिनिधि, दिव्यांग जन के कल्याण हेतु स्वयंसेवकों, दिव्यांग जन अभिभावक समूह तथा विविध स्तरीय दिव्यांग जन समूह से गीता सहित उन तीनों मूक बधिर बच्चों के माता-पिता के ठिकाने को खोजने में सहयोग का अनुरोध किया है।


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