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बोगी बरमोरिया में सड़कों के जाल ने बदल दिया नक्सलियों का ठिकाना

संवाद सूत्र चंद्रमंडी (जमुई) नक्सलियों के सुरक्षित और सेफ जोन के रूप में विख्यात चकाई थाना क्षेत्र के बिहार झारखंड की सीमा पर स्थित बोगी बरमोरिया इलाके में सड़क और पुल पुलिया के जाल ने उस इलाके में विकास की गति को तेज करने के साथ ही नक्सलियों के ठिकानों को भी बदल दिया है। कभी इस इलाके में नक्सलियों के टाप लीडर से लेकर निचले स्तर तक का दस्ता आराम से दिन में भ्रमण करता था।

By JagranEdited By: Published: Mon, 16 May 2022 06:47 PM (IST)Updated: Mon, 16 May 2022 06:47 PM (IST)
बोगी बरमोरिया में सड़कों के जाल ने बदल दिया नक्सलियों का ठिकाना

संवाद सूत्र, चंद्रमंडी (जमुई): नक्सलियों के सुरक्षित और सेफ जोन के रूप में विख्यात चकाई थाना क्षेत्र के बिहार झारखंड की सीमा पर स्थित बोगी बरमोरिया इलाके में सड़क और पुल पुलिया के जाल ने उस इलाके में विकास की गति को तेज करने के साथ ही नक्सलियों के ठिकानों को भी बदल दिया है। कभी इस इलाके में नक्सलियों के टाप लीडर से लेकर निचले स्तर तक का दस्ता आराम से दिन में भ्रमण करता था। यहां तक कि जन अदालत भी लगाता था, लेकिन पिछले तीन-चार सालों में हुए विकास और सड़कों के जाल ने इस इलाके में सुरक्षा बलों के आवागमन को आसान बना दिया है। खासकर पोझा से पथरिया तक चालीस किलोमीटर तक बनी सड़क ने इस इलाके में विकास की लंबी लकीर खींच दी है। इसके साथ ही इस मार्ग पर बेलखरी नदी, मडवा नदी, मधुपुर नदी, तेलियामरान नदी पर बने उच्च स्तरीय पुल ने विकास के मामले में सोने पर सुहागा का काम किया है। इसके साथ ही दोमुहान से बोजहरा तक इन दिनों बन रही 36 किलोमीटर टू लेन सड़क इलाके में अब तक के सबसे बड़े विकास कार्यों में शामिल हैं। इलाके में बड़े पैमाने पर हुए विकास कार्यों के कारण कभी सुरक्षा बलों के लिए दुर्गम माने जाने वाला यह इलाका आवागमन के ख्याल से सुगम हो गया जिसे सुरक्षा बलों ने अपनी गतिविधि बढ़ाई जिसका परिणाम हुआ कि तीस लाख के टाप इनामी नक्सली चिराग दा, एरिया कमांडर दिनेश पंडित गुरु टूडू सरीखे नक्सली पुलिस मुठभेड़ में मारे गए, जबकि इलाके में सक्रिय तीन दर्जन से अधिक नक्सली गिरफ्तार हुए। सुरक्षा बलों के बढ़ते प्रभाव के कारण सुरंग यादव और लखन यादव जैसे नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया। पिछले छह माह में सुरक्षा बलों के लगातार बढ़ते मूवमेंट के कारण नक्सलियों ने अपना ठिकाना बदल लिया है। इस इलाके के बजाय नक्सली खैरा के सिद्धेश्वर और पंचहुर को सुरक्षित इलाके के रूप में मानने लगे हैं। यही कारण है कि पिछले चार पांच माह में यहां नक्सलियों का मूवमेंट नहीं के बराबर है। इसके ठीक विपरीत गिद्धेश्वर और पंचहुर इलाके में नक्सलियों का मूवमेंट काफी बड़ा है। हाल के दिनों में पुलिस ने गिधेश्वर इलाके में छापेमारी कर नक्सलियों का सामान भी बरामद किया है। सुरक्षा बलों को लगातार इस इलाके में नक्सलियों का लोकेशन भी मिल रहा है। पिटू राणा, करुणा दी, अरविद यादव, मल्लू तुरी जैसे नक्सली लीडर अपने दस्ते के साथ उस इलाके में भ्रमण शील है। सूत्र बताते हैं कि नक्सली दस्ता अब बोंगी बरमोरया इलाके में आता भी है तो झारखंड की सीमा में प्रवेश कर जाता है।

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इनसेट

15 से 20 मिनट में बोंगी बरमोरिया पहुंच जाती है पुलिस

जिस इलाके में कभी सुरक्षाबलों को पहुंचने में 12 से 15 घंटे लग जाते थे उस इलाके में अब पुलिस 15 से 20 मिनट में पहुंच रही है। बोगी और बरमोरिया का इलाका झारखंड की सीमा को छूता है। इन इलाकों में नक्सली घटनाएं होने पर पुलिस को पूरी सुरक्षा-व्यवस्था के साथ घटनास्थल जाना होता था। जिसमें 12 से 15 घंटे तक लग जाते थे और झारखंड होकर जाना पड़ता था लेकिन जब से इस इलाके में सड़कों और पुल पुलिया का जाल बिछा है, तब से जमुई पुलिस 15 से 20 मिनट में पहुंच जाती है और लगातार इलाके में सक्रिय रहती है जिससे इलाके में नक्सलियों के पांव उखड़ गए हैं।


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