रेसक्यू कराए गए बच्चों की उम्र थी 14 से कम
जमुई। आदिवासी समुदाय के मुक्त कराए गए बच्चों की उम्र 14 साल से कम थी। छह में से चार बच्चों ने अपनी उ
जमुई। आदिवासी समुदाय के मुक्त कराए गए बच्चों की उम्र 14 साल से कम थी। छह में से चार बच्चों ने अपनी उम्र 12 वर्ष के आसपास बताई है। जब रेसक्यू करने टाउन हॉल पहुंचे अनुमंडल पदाधिकारी तो बच्चे इस तरह खौफजदा थे कि वे अपना नाम सही-सही नहीं बता पा रहे थे। आलम यह था कि दो बच्चों ने तो डर से अपना नाम ही बदल डाला। जब बच्चों से पूछा गया कि वे यहां क्या काम करते हैं तो उन्होंने कहा कि उनसे यहां खाना बनवाया जाता है तथा कुर्सी लगाने, कुर्सी उठाने, बर्तन धोने सहित अन्य कार्य कराए जाते हैं। श्रम अधीक्षक सुबोध कुमार ने भी बारी-बारी से सभी बच्चों का बयान लिया और पूछा कि उन्हें कितनी मजदूरी मिल रही है। जिस पर बच्चों ने बताया कि बीते दो दो महीने से वे काम कर रहे हैं परंतु अब तक उन्हें मजदूरी नहीं दी गई है। फिलहाल इन बच्चों को जादूगर की कैद से मुक्त कराकर चाइल्ड लाइन सौंप दिया गया है।