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मुहर्रम शुरू होते ही इमामबाड़ा में गूंजने लगी डंके की आवाज

संवाद सहयोगी जमुई इस्लामिक कलेंडर के मुताबिक नए साल की शुरुआत मुहर्रम के महीना से ही होती है यानि कि मुहर्रम का महीना इस्लामी साल का पहला महीना होता है। मुहर्रम पर्व में खास तौर पर सीया समुदाय के लोग मातम मनाते हैं। मुहर्रम की 10 तारीख को इमाम हुसैन की शहादत हुई थी इसी के याद में मुहर्रम पर्व मनाई जाती है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 02 Aug 2022 06:56 PM (IST)Updated: Tue, 02 Aug 2022 06:56 PM (IST)
मुहर्रम शुरू होते ही इमामबाड़ा में गूंजने लगी डंके की आवाज
मुहर्रम शुरू होते ही इमामबाड़ा में गूंजने लगी डंके की आवाज

फोटो 2 जमुई 27

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- मुहर्रम के महीने से होती है इस्लामिक नए साल की शुरुआत

- इस्लाम में मुहर्रम पर्व का है बड़ा महत्व

- नवमी, दशमी या दशमी, ग्यारहवीं को रखा जाता है दो रोजा

संवाद सहयोगी, जमुई : इस्लामिक कलेंडर के मुताबिक नए साल की शुरुआत मुहर्रम के महीना से ही होती है यानि कि मुहर्रम का महीना इस्लामी साल का पहला महीना होता है। मुहर्रम पर्व में खास तौर पर सीया समुदाय के लोग मातम मनाते हैं। मुहर्रम की 10 तारीख को इमाम हुसैन की शहादत हुई थी, इसी के याद में मुहर्रम पर्व मनाई जाती है। जिस वजह से इस दिन को सबसे अहम दिन माना जाता है। इस दिन मुहर्रम के नवमी और 10वीं या 10वीं और 11वीं को रोजा रख कर इबादत की जाती है। मुहर्रम की शुरुआत हो चुकी है। इसको लेकर जमुई के महराजगंज, महिसौड़ी, पठानचौक, नीमारंग सहित विभिन्न इलाकों व प्रखंडों में या हुसैन के नारे गूंजने लगे हैं। इमामबाड़े की साफ सफाई, रंग व रौगन जोरशोर से की जा रही है। लोग इसकी तैयारी में पूरी तरह जुट गए हैं। मुहर्रम की सातवीं तारीख से डंके की चोट पर युवा वर्ग के लोग परंपरागत हथियार के साथ इमामबाड़े के समीप जाकर रस्म अदा करेंगे। हालांकि मुहर्रम पर्व में अखाड़ा या सिपाल ताजिया बनाने का इस्लाम में कोई हकीकत नहीं है लेकिन पूर्वज से चली आ रही रीति-रिवाज के तहत यह मनाया जा रहा है। कोरोना काल के दो वर्षों के बाद इस बार ताजिया-सीपाल बनाने की शुरुआत हो चुकी है।

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लंबे अरसे बाद खेला जाएगा का अखाड़ा

इस बार लंबे अरसे के बाद मुहर्रम का अखाड़ा धूमधाम से खेला जाएगा। ताजीया, सीपल समेत अन्य कार्यक्रमों पर प्रतिबंध नहीं रहेगा। दो वर्ष कोरोना काल के दौरान मुहर्रम पर्व का उत्साह फीका पड़ा रहा था। इस दौरान पूरे इलाके में सन्नाटा पसरा रहा था यानि पूरी तरह त्योहार की उमंग फीकी पड़ी रही थी। लेकिन इस बार प्रतिबंध हटते ही लोगों में खुशियां छा गई। चारो ओर पर्व को लेकर उत्साह दिखने लगा है। लोग मुहर्रम की तैयारी में जुट गए हैं।

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इनसेट

लाइसेंस निर्गत होने के बाद ही अखाड़े की दी जाएगी अनुमति

टाउन थानाध्यक्ष राजीव कुमार तिवारी ने बताया कि जमुई थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सभी अखाड़ा कमेटियों को लाइसेंस लेना अनिवार्य होगा। बिना लाइसेंस के अखाड़ा नहीं निकलेगा। उन्होंने बताया कि चार अगस्त तक लाइसेंस के लिए लोग आवेदन कर सकते हैं। आवेदन के साथ जिम्मेदारों के अलावा 15 सदस्यों का आधार कार्ड और मोबाइल नंबर देना अनिवार्य होगा और चिन्हित रास्ता से ही अखाड़ा की अनुमति दी जाएगी। अखाड़ा के दौरान सुरक्षा व्यवस्था के भी पुख्ता इंतजाम रहेंगे।


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