पड़ोसी अगर भूखा है तो खाना जायज नहीं : मौलाना फारूक अशरफी
जमुई। शहर के महिसौड़ी स्थित मदरसा अशरफिया मुख्तारूल उलूम में शुक्रवार की रात ईद-ए-मीलादुन्नबी का आयोजन किया गया।
जमुई। शहर के महिसौड़ी स्थित मदरसा अशरफिया मुख्तारूल उलूम में शुक्रवार की रात ईद-ए-मीलादुन्नबी का आयोजन किया गया। ईद-ए-मीलादुन्नबी का आयोजन कुरान की तिलावत से शुरू किया गया। इस अवसर पर मदरसा के संचालक मौलाना फारूक अशरफी ने कहा कि ईद-ए-मीलादुन्नबी का शाब्दिक अर्थ हजरत मुहम्मद के पैदाइश की खुशी है।
हजरत मुहम्मद स-अलैही वसल्लम के जन्मदिन को ईद के रूप में मनाने का मकसद यह है कि उन्होंने जो पूरी मानवता के लिए पैगाम दिया है उसको लोगों तक पहुंचाना है। वहीं मौलाना मु. अकबर हुसैन ने कहा कि इस्लाम की बुनियाद दो चीजों पर है, पहला कुरआन शरीफ है जो अल्लाह की तरफ से पूरी मानवता के लिए रहनुमा है और दूसरा हदीस है जो हजरत मुहम्मद साहब ने इस्लाम मानने वालों का संपूर्ण जीवन मानवीय आधार पर व्यतीत करने के लिए बताया। इस्लाम धर्म इस बात की वकालत करता है कि सबसे बड़ा धर्म इंसानियत की हिफाजत है। मानवीय मूल्यों की रक्षा ही इस्लाम की पहचान है। यदि कोई मुसलमान कुरआन और हदीस के बताए हुए रास्ते से अलग है तो वह मुसलमान नहीं हो सकता। वहीं मौलाना फारूक अशरफी ने कहा कि हजरत मुहम्मद ने फरमाया है कि यदि तुम्हारा पड़ोसी भूखा है तो तुम पर खाना हराम है। यहां यह नहीं कहा गया कि तुम्हारा पड़ोसी मुसलमान हो। पड़ोसी किसी भी मजहब का हो यदि वह भूखा है तो खाना खिलाएं। वहीं महिसौड़ी मदरसा, नीमारंग मुहल्ला में भी ईद-ए-मीलादुन्नबी का आयोजन किया गया। इस दौरान उलेमा द्वारा मुहम्मद साहब के उपदेशों की जानकारी लोगों को दे रहे थे। इस अवसर पर मौलाना मु. इलियास, मौलाना मु. जयाउद्दीन, डॉ. मासूम अहमद, हाफिज महबूब साहेब, कारी हसीब साहब सहित काफी संख्या में मदरसे के बच्चे, उलेमा और शहर वासी मौजूद थे।