Move to Jagran APP

इतिहासकारों की उपेक्षा के शिकार हुए नेताजी सुभाषचंद्र बोस

संवाद सूत्र सिमुलतला (जमुई) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के शिखर पुरुष व महान सेनानी थे नेताजी सुभाषचंद्र बोस। यह बात सिमुलतला आवासीय विद्यालय में महाकवि राम इकबाल सिंह राकेश साहित्य परिषद द्वारा आनलाइन आयोजित नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयंती समारोह पर परिषद के संयोजक डा. सुधांशु कुमार ने रविवार को कही।

By JagranEdited By: Published: Sun, 23 Jan 2022 06:39 PM (IST)Updated: Sun, 23 Jan 2022 06:39 PM (IST)
इतिहासकारों की उपेक्षा के शिकार हुए नेताजी सुभाषचंद्र बोस
इतिहासकारों की उपेक्षा के शिकार हुए नेताजी सुभाषचंद्र बोस

फोटो- 23 जमुई- 10,11,12,13,14,15,16,17,18,19

loksabha election banner

संवाद सूत्र, सिमुलतला (जमुई): भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के शिखर पुरुष व महान सेनानी थे नेताजी सुभाषचंद्र बोस। यह बात सिमुलतला आवासीय विद्यालय में महाकवि राम इकबाल सिंह राकेश साहित्य परिषद द्वारा आनलाइन आयोजित नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयंती समारोह पर परिषद के संयोजक डा. सुधांशु कुमार ने रविवार को कही।

उन्होंने कहा इतिहासकारों ने जिन बड़ी विभूतियों को नजरअंदाज किया, उनकी उपेक्षा की, उनमें नेताजी का नाम सबसे ऊपर है। यह अकाट्य तथ्य है कि भारत को अंग्रेजों से मुक्त कराने में तीन धाराओं ने अपनी भूमिका निभाई। पहली धारा नेताजी सुभाषचंद्र बोस की थी, जिसके अंतर्गत द्वितीय विश्व युद्ध में रासबिहारी बोस द्वारा गठित आजाद हिद फौज का नेतृत्व संभालने के उपरांत नेताजी ने जापान और जर्मनी के साथ मिलकर अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ाई लड़ी। आजादी की लड़ाई की दूसरी धारा थी भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, राजगुरु आदि क्रांतिकारियों की जो मरेंगे-मारेंगे और अंग्रेजों को भगाकर ही दम लेंगे की नीतियों पर चल रहे थे। तीसरी धारा थी महात्मा गांधी की जो अहिसा के मार्ग पर चलते हुए अंग्रेजों को देश छोड़ने पर मजबूर करना चाहते थे। इतिहासकारों ने एक सोची समझी नीति के कारण पहली और दूसरी धारा के स्वतंत्रता सेनानियों के साथ अन्याय किया। प्राचार्य डा. राजीव रंजन ने कहा कि नेताजी पर विवेकानंद एवं अरविदो के दर्शन का गहरा प्रभाव है। उन्होंने पन्द्रह वर्ष की उम्र में ही विवेकानंद एवं अरविदो के साहित्य का अध्ययन कर लिया था। उपप्राचार्य सुनील कुमार ने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में किसी के योगदान को कमतर करके नहीं आंका जाना चाहिए। नेताजी सुभाषचंद्र बोस की उपेक्षा भारत माता की उपेक्षा है। आज जरूरत है कि सुभाषचन्द्र बोस के राष्ट्रवाद को हम अपने आचरण में उतारने के साथ-साथ उनके बताए मार्ग पर चलने का। इस अवसर पर छात्र-छात्राओं के बीच परिषद द्वारा आनलाइन प्रश्नोत्तरी स्पर्धा हुई। इसमें ऋषि, निक्की, प्रभात, अमित, शिवांजली, समृद्धि सावर्ण, प्रभात, सोनी स्वराज, शिवांगीराज, सुमित, अभिषेक, अंशु, अनुष्का, विक्की, चंदन, रागिनी, आयुष स्नेहा, सुमन, सत्यम, सोनम प्रिया, अभिषेक राज, विक्रमादित्य, अर्चना, अमित एवं तनुप्रिया ने बेहतर प्रदर्शन किया। नेताजी की जयंती के अवसर पर परिषद ने दो चरणों में आनलाइन प्रश्नोत्तरी स्पर्धा आयोजित हुई। प्रथम चरण दोपहर 12 बजे आयोजित किया गया जिसमें शिक्षणार्थ छात्रों-छात्राओं ने भाग लिया। दूसरा चरण दोपहर दो बजे आयोजित किया गया जिसमें विद्यालय के पूर्ववर्ती छात्र-छात्राओं के साथ शिक्षणार्थ छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। इसमें फेसबुक पेज, वाट्सएप, इंस्टाग्राम के साथ विभिन्न सोशल प्लेटफार्म के माध्यम को अपनाया गया था। कार्यक्रम में विद्यालय के पूर्ववर्ती छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। इसके परिणाम की घोषणा कल की जाएगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.