पुराने दरखतों के सहारे भविष्य की चाहत
जमुई। दशकों पहले पशुपालन कृषि के साथ पौधारोपण जीविका का मुख्य साधन माना जाता था परंतु समय के साथ ग्रामीण तथा शहरी परिवेश में बदलाव आया और कृषि पशुपालन व पौधारोपण जीविका के मुख्य साधन से दूर होते चले गए।
जमुई। दशकों पहले पशुपालन, कृषि के साथ पौधारोपण जीविका का मुख्य साधन माना जाता था, परंतु समय के साथ ग्रामीण तथा शहरी परिवेश में बदलाव आया और कृषि, पशुपालन व पौधारोपण जीविका के मुख्य साधन से दूर होते चले गए। हालांकि, कुछ समय से युवाओं में पौधा लगाने को लेकर जनजागृति आई है, परंतु ऐसे युवाओं की संख्या बहुत कम है। यूं कहें कि पुराने दरखतों के सहारे भविष्य तलाशी जा रही है।
हमारे समाज में अब तक यह धारणा बनी है कि पढ़-लिखकर नौकरी करना ही प्रमुख जीविका का साधन बन सकता है, न कि पौधारोपण को भी व्यवसाय बनाया जा सकता है। एक दशक से अधिक समय तक समाज सेवा से जुड़े शिवशंकर बताते हैं कि उनके पिताजी ने बगीचा लगाना शुरू किया। आज उनके बगीचे में सैकड़ों की संख्या में फलदार पौधे वृक्ष का रूप ले चुके हैं और उनके लिए यह वृक्ष आमदनी का प्रमुख साधन बने हैं। उन्होंने बताया कि पौधारोपण एक तरह का कृषि कार्य है जो खेती से अधिक मुनाफा देता है। उन्होंने युवाओं को पौधारोपण के लिए आगे आने की सलाह दी है। खैरा के नवडीहा निवासी रविद्र कुमार ने अपने गांव में पौधा लगाने की शुरुआत बचपन से ही की है। उन्होंने पहला पौधा मैट्रिक की परीक्षा के बाद लगाया। उनका लगाव बचपन से ही पौधा लगाने में रहा है। यही कारण है कि वे आज भी अपने ग्रामीण आवास पर बगीचा लगाने में जुटे हैं। वे बताते हैं कि पौधे लगाने के पश्चात यदि उनकी देखभाल सही तरीके से की जाए तो आमदनी का एक प्रमुख जरिया बन सकता है। खैरा निवासी भोला जी ने भी अपने पेशे से इतर पौधारोपण के क्षेत्र में एक अलग ही आयाम स्थापित किया है। उन्होंने बीते एक दशक पूर्व 200 की संख्या में गमहार तथा सागवान के पौधे लगाए थे, जो आज दरख्त बन चुके हैं। 15 से 20 हजार रुपये सालाना इन पेड़ों के माध्यम से उन्हें आमदनी होती है। इतना ही नहीं, वे प्रत्येक साल पौधों की संख्या में वृद्धि करने में लगे रहते हैं। आने वाले समय में उन्होंने पांच सौ नए पौधे लगाने का संकल्प लिया है। साइकिल यात्रा विचार मंच से जुड़े सदस्य हरेराम कुमार सिंह बीते कई वर्षों से घूम-घूमकर पौधारोपण के लिए लोगों में जन जागरुकता अपनी टीम के माध्यम से फैला रहे हैं। अब तक उनकी टीम द्वारा 15,000 पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है, जिसे पूरा करने के लिए साइकिल यात्रा विचार मंच के सभी सदस्य संकल्पित हैं। उन्होंने बताया कि इस अभियान के तहत अब तक जमुई जिले के सैकड़ों गांव में पौधारोपण किया गया है। फिलहाल, युवाओं में पौधारोपण को लेकर जन जागृति फैल रही है परंतु इसकी रफ्तार जमुई जिले में काफी धीमी है। इसे सामूहिक अभियान के तौर पर चलाने की आवश्यकता है तभी समाज के लोगों ने जन जागृति आएगी।