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सूदखोर का कहर: दो बोरी अनाज, कीमत साढ़े चार लाख, जानिए पूरी कहानी

जमुई जिले के सिकंदरा प्रखंड में एक सूदखोर महाजन का कहर सामने आया है। उसने पच्चीस साल पहले लिए गए दो बोरी अनाज के बदले साढ़े चार लाख रुपये की मांग की है।

By Kajal KumariEdited By: Published: Fri, 27 Apr 2018 06:56 PM (IST)Updated: Fri, 27 Apr 2018 10:35 PM (IST)
सूदखोर का कहर: दो बोरी अनाज, कीमत साढ़े चार लाख, जानिए पूरी कहानी

जमुई [अरबिंद कुमार सिंह]। महान कथाकार मुंशी प्रेमचंद की महाजनी सभ्यता पर आधारित सवा सेर गेहूं कहानी में महाजन द्वारा किसान शंकर के शोषण की व्यथा कथा आज भी कुछ गांवों में विद्यमान है। उस कथा से मिलती-जुलती घटना जमुई जिले के सिकंदरा थाने के दक्षिणी इलाके के मथुरापुर पंचायत अंतर्गत माधोपुर गांव में देखने को मिली है।

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यहां सवा सेर गेहूं कहानी के पात्र शंकर की जगह रामधनी रविदास हैं और महाजन ब्राह्मण की भूमिका में गांव के चंदर दास के परिजन हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि शंकर को सवा सेर गेहूं के बदले नरक का भय दिखाकर बंधुआ मजदूरी के लिए मजबूर किया गया था और इस मामले में रामधनी की जमीन व मकान पर कब्जा कर लिया गया है। 

22 वर्ष पूर्व दो मन अनाज लिया था रामधनी ने

माधोपुर गांव में 22 वर्ष पूर्व रामधनी दास ने चंदर दास से एक मन चावल और एक मन गेहूं उधार ली थी। हालांकि तीन साल बाद ही उसने अनाज के बदले दो हजार रुपये चंदर दास को चुका दिए थे। लेकिन महाजन चंदर दास के खाते में उसका हिसाब चुकता नहीं हुआ।

उसके खाते में रामधनी के कर्ज की राशि सूद-दर-सूद बढ़ती चली गई। उसके एक साल बाद ही साहूकार ने कर्ज की राशि बढ़कर 27 हजार रुपये हो जाने की बात बताकर रामधनी की जमीन व उसके मकान पर कब्जा जमा लिया। लाचार रामधनी किसी तरह दूसरे प्लॉट पर झोपड़ी डालकर बच्चों का पालन-पोषण करने लगे।

उधर कानूनी आवश्यकता को देखते महाजन रामधनी पर जमीन की रजिस्ट्री करने का दबाव बनाने लगे। इसी बीच साहूकार चंदर दास की मृत्यु हो गई। उसके बाद से उनके परिजनों ने भूमि निबंधन के लिए दबाव और बढ़ा दिए।

इस मसले को लेकर कई बार दोनों पक्षों के बीच मारपीट की घटनाएं भी हो चुकी हैं। बात बढ़ी तो पंचायत भी लगी और थाने तक भी मामला पहुंचा, लेकिन दबंगों के प्रभाव से पंचायत में चंदर के पक्ष में फैसला चला गया, तो थाने में इस मामले को दबा दिया गया।

80 किलो अनाज की देनदारी 4.80 लाख  

आज करीब 22 साल पूर्व लिए गए 80 किलो अनाज की रामधनी की देनदारी बढ़कर चार लाख 80 हजार रुपये पहुंच चुकी है। उसकी जमीन व मकान की कीमत पांच लाख पांच हजार लगाई गई है।

फलत: पंचायत ने पचीस हजार रुपये साहूकार के परिवार को पीडि़त रामधनी को देकर उसकी भूमि निबंधित कराने का फैसला सुनाया है। यह फैसला सुनाने वाली पंचायत में सरपंच कुसुम देवी सहित गांव के 11 लोग शामिल थे। इस फैसले से हताश पीडि़त ने डीएम से न्याय की गुहार लगाई है।

कहा-जिलाधिकारी ने

इस संबंध में सक्षम प्राधिकार, अंचल अधिकारी सिकन्दरा को आवश्यक कार्रवाई के लिए निर्देशित किया गया है।

डॉ. कौशल किशोर, जिलाधिकारी, जमुई


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