मानसून की बेरूखी से पिछड़ी धान की बोआई
संवाद सूत्र अलीगंज (जमुई) प्रखंड क्षेत्र में इस मानसून सामान्य से काफी कम वर्षा हुई है। खेतों में पानी के बिना धान की रोपनी पिछड़ रही है। मानसून की बेरूखी से किसान परेशान हैं। सांख्यिकी विभाग के आंकड़े के मुताबिक एक पखवारे में महज 50 एमएम वर्षा हुई है।
फोटो- 31 जमुई- 4
- अलीगंज में 4300 हेक्टेयर भूमि में धान की रोपनी का लक्ष्य, महज दो फीसदी हुई रोपनी
- वर्षा के अभाव में खाली पड़े हैं 98 फीसदी खेत
संवाद सूत्र, अलीगंज (जमुई): प्रखंड क्षेत्र में इस मानसून सामान्य से काफी कम वर्षा हुई है। खेतों में पानी के बिना धान की रोपनी पिछड़ रही है। मानसून की बेरूखी से किसान परेशान हैं। सांख्यिकी विभाग के आंकड़े के मुताबिक एक पखवारे में महज 50 एमएम वर्षा हुई है। वर्षा इतना कम होना किसानों की चिता का सबब बन गया है। किसान बिचड़ा तैयार कर बोआई का इंतजार कर रहे हैं।
वर्षा न होने की वजह से 98 फीसदी खेत खाली पड़े हुए हैं, जबकि इस समय खेतों मे धान रोपनी का कार्य चरम पर होता था। सावन मास में चहुंओर हरियाली दिखाई देती थी मगर वर्षा नहीं होने से खेत वीरान नजर आ रहे हैं। प्रखंड क्षेत्र में इस वर्ष करीब 4300 हेक्टेयर खेत में धान की बोआई का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके विपरीत लगभग दो फीसदी खेतों मे धान की बोवाई हुई है। पहले जून में पर्याप्त वर्षा नहीं हुई और अब जुलाई का चौथा सप्ताह भी सूखे में निकल गया।पूरे सावन माह में एक दिन थोड़ी वर्षा जरूर हुई जो ऊंट के मुंह मे जीरे के समान रही। खेतीबाड़ी लायक वर्षा न होने से किसान चितित हैं। वर्षा न होने के कारण अब धान का बिचड़ा भी खराब होने लगा है। खेत-खलिहान से लेकर तालाब, कुएं, नदी, आहर, पोखर आदि पानी के लिए तरस रहे हैं।
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रोपनी के लिए किसान कर रहे और वर्षा का इंतजार
संवाद सूत्र, झाझा(जमुई): झाझा में रविवार को दो बार आधा आधा घंटा तेज वर्षा हुई। इस वर्षा ने किसानों को खुश कर दिया, लेकिन शहर का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। कई सड़क कीचड़मय हो गए तो कई जगहों पर नाला का गंदा पानी बीच सड़ क पर बहने लगा। वर्षा से उमस भरी गर्मी से लोगों को राहत मिली। किसानों के चेहरे पर खुशी दिखी। महापुर गांव के किसान रंजीत यादव, मनोज यादव आदि ने बताया कि आधा सावन खत्म होने के बाद वर्षा हुई है। इस वर्षा से किसान को कोई खास फायदा नहीं मिलेगा। हम लोगों ने किसी तरह धान का बिचड़ा डाला था लेकिन वर्षा नहीं होने के कारण बिचड़ा जल गया। किसी तरह कुछ बिचड़ा को बोरिग के सहारे बचाया गया है। मूसलाधार वर्षा लगातार होती है तभी धान की रोपाई होना संभव है। अधिकांश किसान इस बार धान का बिचड़ा भी नहीं डाल सके हैं।