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पटवन के लिए कृषि फीडर, फिर भी किसान डीजल अनुदान पर निर्भर

जिले में विद्युत आपूर्ति और ढांचागत संरचना सु²ढ़ होने के बाद किसानों के लिए अलग से कृषि फीडर स्थापित किए गए। इन फीडरों में 16 घंटे बिजली आपूर्ति का दावा विभाग करता है। बावजूद जिले के किसान पटवन के लिए अब भी डीजल अनुदान पर निर्भर है। डीजल अनुदान के लिए

By JagranEdited By: Published: Fri, 05 Aug 2022 06:04 PM (IST)Updated: Fri, 05 Aug 2022 06:04 PM (IST)
पटवन के लिए कृषि फीडर, फिर भी किसान डीजल अनुदान पर निर्भर
पटवन के लिए कृषि फीडर, फिर भी किसान डीजल अनुदान पर निर्भर

संवाद सहयोगी, जमुई। जिले में विद्युत आपूर्ति और ढांचागत संरचना सु²ढ़ होने के बाद किसानों के लिए अलग से कृषि फीडर स्थापित किए गए। इन फीडरों में 16 घंटे बिजली आपूर्ति का दावा विभाग करता है। बावजूद जिले के किसान पटवन के लिए अब भी डीजल अनुदान पर निर्भर है। डीजल अनुदान के लिए किसानों के आवेदन की संख्या कुछ यहीं दर्शा रही है। कृषि विभाग में डीजल अनुदान के लिए छह दिन में गुरुवार तक 575 किसानों ने आनलाइन आवेदन किया है। इसमें सबसे अधिक सोनो और इसके बाद खैरा प्रखंड के किसान शामिल हैं। यह दीगर बात है कि सोनो में चार बड़े-बड़े जलाशय बरमनिया, बेलाटांड, तिलबरिया, चरैया और खैरा में सबसे बड़ा जलाशय गरही डैम भी उपलब्ध है। वर्तमान में बिजली व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए जिला कृषि कार्यालय भी डीजल अनुदान को लेकर सतर्क है। पूरी तरह गहनता से छानबीन करने के बाद ही अनुशंसा करने का निर्देश दिया गया है।

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डीएओ ने डीजल पंप सेट की मांगी सूची

जिला कृषि पदाधिकारी अविनाश चंद्र ने जिले के सभी कृषि समन्वयक और किसान सलाहकार को पत्र निर्गत कर पंचायत में चल रहे डीजल पंप सेट की सूची की मांग की है। आदेश दिया गया है कि पंचायतों में वैसे कृषकों की सूची उपलब्ध कराए जो डीजल पंप सेट का प्रयोग कर सिचाई कर रहे हैं।

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कृषक फीडर से हो रही बिजली सप्लाई

जिले में 22 कृषक फीडर से सिचाई के लिए बिजली की सप्लाई हो रही है। बिजली विभाग के अनुसार जिले में 27 कृषक फीडर स्थापित है इसमें 22 चालू है। जिले में 12 हजार 35 कृषि कनेक्शन है। मौसम की बेरुखी में पंप सेट की मदद से कुछ जगहों पर किसानों ने रोपनी कार्य शुरु किए हैं।

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महज चार फीसद हुई है रोपनी

अगस्त माह का प्रथम सप्ताह गुजरने वाला है लेकिन जिले में अब तक महज 4. 30 फीसद ही रोपनी हो पाई है। इसमें सबसे अधिक सदर प्रखंड में 11 फीसद रोपनी हुई है। तीन प्रखंड में दो फीसद तथा तीन प्रखंड में तीन फीसद से कम रोपनी हो पाई है। जिला कृषि कार्यालय के अनुसार 63 हजार 887 हेक्टेयर में धान की खेती के लक्ष्य के विरुद्ध 2749.83 हेक्टेयर में ही रोपनी हो पाई है। हालत यह है कि पानी के अभाव के कारण झाझा और सोनो में शत-प्रतिशत बिचड़ा का भी आच्छादन नहीं हो पाया है।

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चार दिन में 31.2 एमएम हुई वर्षा

अगस्त माह के पहले चार दिन में जिले में 11.44 फीसद औसत वर्षा हुई है। कृषि विभाग के अनुसार अगस्त माह का सामान्य वर्षापात 272.80 एमएम है। पिछले चार दिन में 31.2 एमएम वर्षा हुई है जो 11.44 फीसद है।

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डीजल अनुदान के लिए आवेदन करने वाले किसानों की संख्या प्रखंडवार

प्रखंड---------------संख्या

बरहट---------------04

चकाई---------------57

गिद्धौर---------------10

अलीगंज-------------08

सदर-----------------08

झाझा----------------21

खैरा-----------------202

लक्ष्मीपुर------------17

सिकंदरा------------35

सोनो----------------213

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कोट

सिचाई के लिए चल रहे डीजल पंप की सूची कृषि समन्वयक और किसान सलाहकार से मांगी गई है। साथ ही गहनता से जांच करने का निर्देश दिया गया है।

अविनाश चंद्र

जिला कृषि पदाधिकारी, जमुई।

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कोट

सभी प्रखंडों में कृषि फीडर उपलब्ध है।

श्रवण कुमार रजक

कार्यपालक पदाधिकारी, विद्युत विभाग जमुई।

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बाक्स

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समरसेबल चलने से चापाकल हो रहा बेकार

जमुई: बिजली संचालित बोरिग में समरसेबल पंप चलाकर रोपनी करने का प्रभाव दिखने लगा है। समरसेबल पंप चलने के बाद बोरिग के नजदीकी घरों के चापाकल पानी उगलना बंद कर रहा है। इससे किसान दोहरी परेशानी झेलने को बाध्य है। बरहट प्रखंड के टेंग्हारा में कई घरों में चापाकल से बहुत मुश्किल से पानी निकल पा रहा है। सोनो के किसान मुन्ना राय ने बताया कि कई बार जगहों पर बोरिग कराने का प्रयास किया लेकिन पानी नहीं निकला। सिकंदरा प्रखंड के कुमार गांव निवासी पूर्व मुखिया हरदेव सिंह के मुताबिक गांव के कुछ लोगों को बिजली विभाग द्वारा मौखिक रूप से यह हिदायत दी गई कि समरसेबल का प्रयोग कर खेती का पटवन नहीं करे। समरसेबल के उपयोग करने से पेयजल संकट गहरा जाएगा।


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