निस्स्वार्थ भाव से ईश्वर भक्ति में ही कल्याण
जमुई। निस्स्वार्थ भाव से ईश्वर भक्ति कर मानव अपना कल्याण कर सकता है। हमें अपने आप को ईश्वर के प्रति समर्पित कर देना चाहिए।
जमुई। निस्स्वार्थ भाव से ईश्वर भक्ति कर मानव अपना कल्याण कर सकता है। हमें अपने आप को ईश्वर के प्रति समर्पित कर देना चाहिए। प्रत्येक युग में निस्स्वार्थ भक्ति की ही प्रधानता रही है। यह बातें मानस कोकिला कुमारी अर्चना ने सरौन में आयोजित महारुद्र यज्ञ के दौरान लोगों को संबोधित करते हए कही।
उन्होंने कहा कि जिस प्रकार त्रेता में भगवान राम से मिथिला की सखियों ने नाता जोड़ा उसी तरह द्वापर में सुदामा ने श्रीकृष्ण के प्रति निस्स्वार्थ प्रेम का प्रदर्शन किया। आज का मानव ईश्वर भक्ति से विमुख होकर संसारिक माया में लिपटा रहता है। यही मानव के दुख का कारण भी है। शबरी, सुदामा, मीरा, चैतन्य कई नाम हैं जिन्होंने अपनी भक्ति से भगवान को जीत लिया। हम सभी को भी ईश्वर से कोई न कोई नाता अवश्य जोड़ लेना चाहिए ताकि मानव जीवन सफल हो जाए। उन्होंने भक्ति गीतों से उपस्थित श्रद्धालुओं को झूमने के लिए मजबूर कर दिया। यज्ञ समिति के लोगों ने बताया कि 21 फरवरी तक रोज विद्वान पंडितों द्वारा प्रवचन किया जाएगा।