जागरूकता की रोशनी से गढ़ रहे स्वस्थ समाज, दूर कर रहे कुपोषण का अंधेरा
संवाद सहयोगी जमुई चिकित्सा के साथ स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता से स्वस्थ समाज की नींव रखी जा सकती है। इसी मंशा से मुख्यालय के चिकित्सक डा. शंकर नाथ झा पिछले दस वर्षों से वंचित समुदाय की बस्ती में अभियान चला रहे हैं। साथ ही चिकित्सीय सेवा को ईश्वरीय सेवा की दी गई संज्ञा को चरितार्थ कर रहे हैं।
गण का तंत्र--स्वस्थ समाज
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फोटो 20 जमुई-15
जज्बा
-गरीबों के बने हैं हमदर्द, इलाज के साथ करते जागरूक
-कोरोना में इंटरनेट की मदद से चलाया जागरूकता अभियान
-वंचितों को जागरूक कर स्वास्थ्य रक्षा की देते सीख
-समुदाय के युवक-युवतियों को बनाया वोलेंटियर
-स्वास्थ्य प्रहरी बना बढ़ाया जागरूकता का दायरा
संवाद सहयोगी, जमुई : चिकित्सा के साथ स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता से स्वस्थ समाज की नींव रखी जा सकती है। इसी मंशा से मुख्यालय के चिकित्सक डा. शंकर नाथ झा पिछले दस वर्षों से वंचित समुदाय की बस्ती में अभियान चला रहे हैं। साथ ही चिकित्सीय सेवा को ईश्वरीय सेवा की दी गई संज्ञा को चरितार्थ कर रहे हैं।
गरीबों का नि:शुल्क इलाज के साथ ही स्वास्थ्य को लेकर जागरूक करते हुए समुदाय के ही युवा को वोलेंटियर के रूप में स्वास्थ्य प्रहरी गढ़ रहे हैं। ये वोलेंटियर स्वास्थ्य को लेकर अपने समुदाय के लोगों को जागरूक करते हैं। जीवन के लिए खतरा बना कोरोना आपदा में भी ये रुके नहीं बल्कि काम करने के तरीके में बदलाव कर लिया और कोरोना से बचाव की मुहिम में भी जुट गए। डा. एसएन झा से प्रसिद्ध डा. शंकर नाथ झा को जिले में शिशु चिकित्सक के रूप में ख्याति प्राप्त है। वे सरल, मिलनसार और संवेदनशील माने जाते हैं। गरीबों का न सिर्फ नि:शुल्क इलाज करते बल्कि दवाई भी अपनी ओर से देते हैं। चिकित्सा के अलावा कविता लेखन इनका शौक है।
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10 साल से चला रहे अभियान
पिछले दस साल से डा एसएन झा स्वस्थ समाज को लेकर अभियान चला रहे हैं। हर वर्ष औसतन 60 से 70 स्वास्थ्य जांच शिविर वंचित समुदाय के टोले में लगाते हैं। यहां स्वास्थ्य जांच के साथ दवाई वितरण और कुपोषण, टीकाकरण आदि को लेकर जागरूक किया जाता है। इस अभियान की शुरुआत उन्होंने अकेले की थी अब डाक्टर दोस्तों और समाज सेवियों का सहयोग भी मिलने लगा।
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कोरोना काल में स्वस्थ बच्चा, स्वस्थ जच्चा की चलाई मुहिम
कोरोना के पैर पसारने के बाद उन्होंने स्वस्थ बच्चा, स्वस्थ जच्चा कार्यक्रम शुरु किया। इंटरनेट के माध्यम से जूम से जुड़कर वंचितों की स्वास्थ्य संबंधी समस्या सुनी और इलाज बताया। एक प्रतिनिधि निर्धारित बस्ती में मोबाइल लेकर पहुंचता था। फिर इस माध्यम से ही गर्भवती, धातृ माता देखभाल, एनिमिया, किशोरी स्वास्थ्य, कोरोना से बचाव व इलाज, डायरिया, निमोनिया के बारे में लोगों बताकर इससे बचाव को लेकर जागरूक करते थे।
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स्वास्थ्य चौपाल से बनाया वोलेंटियर
छह महीने पूर्व स्वास्थ्य चौपाल कार्यक्रम संचालित की। इस कार्यक्रम में उनके इंग्लैंड के डाक्टर दोस्त डा. प्रभा, डा आनंद मई, डा. किरण का भी साथ मिला। चौपाल के माध्यम से कोरोना से बचाव की जानकारी के अलावा वोलेंटियर का चयन किया गया। इस प्रकार जिले में 55 वोलेंटियर तैयार किए गए। इन्हें प्रशिक्षण देकर दक्ष बनाया गया। अब ये वोलेंटियर भी संबंधित क्षेत्र में कुपोषण, स्वास्थ्य और कोरोना से बचाव को लेकर लोगों को जागरूक कर रहे हैं।
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बचपन में ही डालनी होगी सीख
डा. एसएन झा स्वस्थ समाज की परिकल्पना साकार करने के लिए बचपन में ही इसकी सीख का बीजारोपण करना होगा। बच्चों को कुपोषण से लड़ना सिखाना होगा। जब लोग स्वस्थ होंगे तब समाज और देश भी स्वस्थ होगा। उन्होंने बताया कि लोगों के घर में कुपोषण दूर करने का उपाय उपलब्ध है। इसलिए लोगों को बताया जाता है कि घर में उपलब्ध अनाज व सब्जी से कैसे कुपोषण को मात दें। साथ ही किशोरियों को उनके स्वास्थ्य सहित जटिलताओं के बारे में जागरूक किया जाता है। उनके अनुसार एक महिला या युवती जागरूक होती है तो एक परिवार के स्वास्थ्य की रक्षा होती है।