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आपदा ने दिखाया डिजिटल शिक्षा का रास्ता, अब उम्मीदों का आसमान

संवाद सहयोगी जमुई इस वर्ष स्कूली शिक्षा कोरोना आपदा की बलि चढ़ गई है। साल के अधिकांश महीने में स्कूल पर ताला लगा रहा है। कोरोना का डर ऐसा कि किसी चीज को छूने से भी परहेज कर रहे थे। हालांकि कहते हैं ना कि आपदा में भी अवसर छिपा होता है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 22 Dec 2021 04:55 PM (IST)Updated: Wed, 22 Dec 2021 04:55 PM (IST)
आपदा ने दिखाया डिजिटल शिक्षा का रास्ता, अब उम्मीदों का आसमान
आपदा ने दिखाया डिजिटल शिक्षा का रास्ता, अब उम्मीदों का आसमान

अभियान की खबर

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फोटो 22 जमुई-14

- जितनी बड़ी चुनौती, उतनी उम्मीद

- इस वर्ष कोरोना ने प्रभावित की स्कूली पढ़ाई

- सिखाया स्वाध्याय और दिखाई डिजिटल की दुनिया

- अभिभावक के तनाव में भी बढ़ाया एक चैप्टर

संवाद सहयोगी, जमुई : इस वर्ष स्कूली शिक्षा कोरोना आपदा की बलि चढ़ गई है। साल के अधिकांश महीने में स्कूल पर ताला लगा रहा है। कोरोना का डर ऐसा कि किसी चीज को छूने से भी परहेज कर रहे थे। हालांकि कहते हैं ना कि आपदा में भी अवसर छिपा होता है। बस देखने और सोचने का नजरिया चाहिए। इसी तरह कोरोना आपदा में स्कूलों पर लगे ताले ने बच्चों को स्वाध्याय का मंत्र और अभिभावकों को बच्चों के पढ़ाई को नजदीक से परखने का वक्त दे दिया।

बच्चों ने डिजिटल दुनिया की ओर कदम बढ़ा दिए। आनलाइन शिक्षा व्यवस्था शुरू हो गई। गांव-गांव के बच्चे आनलाइन पढ़ने लगे। हालांकि बच्चों के हाथ में मोबाइल कई अभिभावकों के लिए तनाव में एक नया अध्याय भी बन गया। पढ़ाई करते-करते बच्चों का दूसरे एप या मोबाइल गेम की ओर भी मुखातिब होना अभिभावकों के लिए सिरदर्द बन गया। साथ ही उन्हें मोबाइल की आदत लग गई। इसके अलावा गणित या अन्य विषय की थोड़ी-सी भी जटिल प्रश्न आते ही खुद से उत्तर ढूंढने के बजाए गुगुल बाबा के शरण में जाने की आदत लग गई। कापी-पेस्ट भी आदत में शुमार हो गया है। बहरहाल, आपदा की चुनौती के बीच शिक्षा सुचारू रखने की मुहिम के बाद अब नए वर्ष में पठन-पाठन के दृश्य में यकीनन बदलाव दिखेगा। यह बदलाव छात्रों की रुटीन से लेकर पढ़ाई के तरीके और पढ़ाने वाले शिक्षकों व स्कूली व्यवस्था में भी दिखेगी।

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मानक पर खरे उतरने की चुनौती बनी उम्मीद

गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की कवायद के बीच मानकों पर खरे उतरने की आसमान जैसी चुनौती उम्मीदों का आसमान भी है। भवन व अन्य संसाधन सहित शिक्षकों की उपलब्धता विभागीय चुनौती है। नए साल में शिक्षक नियोजन से शिक्षकों की कमी काफी हद तक दूर होने की उम्मीद विभाग को है। हालांकि वर्तमान हालात गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के दावे और हकीकत से मेल नहीं खाते हैं।

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53 स्कूल शिक्षक विहीन

इंटरमीडिएट स्कूल की खस्ता हाल शैक्षणिक व्यवस्था में सुधार होने की उम्मीद है। जिले में 99 इंटरमीडिएट स्कूल में 46 स्कूल में शिक्षक उपलब्ध है। हालांकि यहां भी विषयवार शिक्षक उपलब्ध नहीं है, जबकि 53 स्कूल शिक्षक विहीन है।

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डेढ़ शिक्षक के सहारे उत्क्रमित हाईस्कूल

जिले में 106 मध्य विद्यालय को उत्क्रमित कर हाईस्कूल का दर्जा दे दिया गया। इन विद्यालयों में पढ़ाने के लिए जिले में महज 162 शिक्षक ही उपलब्ध हैं यानि एक स्कूल पर डेढ़ शिक्षक।

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उच्च माध्यमिक स्कूल शिक्षक विहीन

पंचायत के नाम से विशेष स्कूल हर पंचायत में उपलब्ध कराने की मंशा से जिले में 23 उच्च माध्यमिक विद्यालय स्थापित किए गए। इन स्कूलों में बच्चों का नामांकन भी है, लेकिन स्कूलों में माध्यमिक शिक्षक उपलब्ध नहीं है।

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कोट

नए साल में मानक के अनुरूप शिक्षक उपलब्ध होने की उम्मीद है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को लेकर विभाग गंभीर है।

कपिलदेव तिवारी, डीईओ, जमुई


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