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नक्सल प्रभावित बैजला पंचायत की जमीन पर उगी हरियाली

जमुई। उग्रवाद प्रभावित पंचायत के रूप में बैजला पंचायत की पहचान रही है। विगत पांच साल से विकास कार्य को गति मिलने से पंचायत में सड़क का जाल बिछा और विकास की योजनाएं गांव-गांव तक पहुंची है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 07 Mar 2021 05:56 PM (IST)Updated: Sun, 07 Mar 2021 05:56 PM (IST)
नक्सल प्रभावित बैजला पंचायत की जमीन पर उगी हरियाली
नक्सल प्रभावित बैजला पंचायत की जमीन पर उगी हरियाली

जमुई। उग्रवाद प्रभावित पंचायत के रूप में बैजला पंचायत की पहचान रही है। विगत पांच साल से विकास कार्य को गति मिलने से पंचायत में सड़क का जाल बिछा और विकास की योजनाएं गांव-गांव तक पहुंची है। अब यह पंचायत कृषि प्रधान पंचायत के रूप में अपनी छाप छोड़ रहा है। पथरीली जमीन पर हरे भरे फसल देखने को मिल रहे हैं। चरमराई शिक्षा व्यवस्था को भी पंख लग है। झाझा नगर से 15 किलोमीटर दूर स्थित इस पंचायत के अधिकांश लोग रोजगार की तलाश में दूसरे राज्य जाते हैं। नकटी जलाशय के केनाल की सफाई नहीं होने से किसानों के चेहरे पर मायूसी है। महिला मुखिया रहने के बावजूद पंचायत के प्रत्येक आमसभा में वह अपनी उपस्थिति दर्ज कराती रही हैं। सात निश्चय योजना के तहत हर घर जल नल योजना का जाल पंचायत में बिछाया गया लेकिन अधिकांश वार्डों में जल नल योजना दम तोड़ती नजर आ रही है। मालूम हो कि पीएचईडी विभाग द्वारा पंचायत में जल नल का कार्य किया गया है। यहां के ग्रामीणों की जीविका का मुख्य साधन कृषि, व्यवसाय तथा बीड़ी बनाना है।

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पंचायत का परिचय

वर्ष 2001 में पंचायती राज के परिसिमन के दौरान भेलबिदा पंचायत के नाम से जाना जाने वाला पंचायत को बैजला पंचायत का नाम दिया गया। नक्सल प्रभावित पंचायत रहने के कारण पंचायत की सड़क सहित अन्य योजना धरातल पर नहीं दिखती थी। जबसे पंचायत के परिसिमन में बदलाव हुआ तबसे पंचायत में विकास कार्य को गति मिली है। पंचायत के कई गांव के लोग आज भी रेलवे में कार्यरत हैं। रेलवे को आगे बढ़ाने में ग्रामीणों का योगदान अहम रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि पंचायत के अधिकांश गांव के लोग कृषि एवं बीड़ी उद्योग पर आधारित हैं। हर घर में महिला एवं पुरूष बीड़ी बनाने का कार्य करते हैं। बीड़ी उद्योग में पंचायत अपना अहम भूमिका निभा रहा है।

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पंचायत एक नजर में

पूर्व-पैरगाहा पंचायत

पश्चिम-धमना पंचायत

उत्तर-लक्ष्मीपुर प्रखंड

दक्षिण-छापा पंचायत

जनसंख्या- 20 हजार

मतदाता-10 हजार

साक्षरता दर- 40 प्रतिशत

क्षेत्रफल-15 किलोमीटर

प्राथमिक विद्यालय- 4

उत्क्रमित मध्य विद्यालय-5

उच्च विघालय-1

मुख्य रोजगार- कृषि एवं बीड़ी उद्योग

मुख्य समस्या- बेरोजगारी, बेहतर शिक्षा एवं स्वास्थ्य

स्वास्थ्य उपकेन्द्र- नहीं

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बैजला काली मंदिर से जुड़ी है लोगों की आस्था

काली मंदिर बैजला पंचायत के कई गांव के लोगों के लिए आस्था का केंद्र है। धमना काली मंदिर के छोटी बहन के रूप में बैजला काली मंदिर की पहचान है। साली पूजा में पंचायत के लोग पूजा करने यहां पहुंचते हैं। जो भक्त आस्था के साथ पूजा अर्चना करता है तो उसकी मनोकामना निश्चित पूरी होती है। पंचायत के शुभ कार्य के पहले काली मंदिर में पूजा अर्चना की जाती है। साली पूजा में हजारों की संख्या में लोग भाग लेते हैं।

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नहीं है उपस्वास्थ्य केंद्र

ग्रामीण चिकित्सा को दुरूस्त करने के लिए सरकार प्रत्येक पंचायत में उपस्वास्थ्य केंद्र की स्थापना की, परंतु उसका किसी प्रकार का फायदा बैजला पंचायत के ग्रामीणों को नहीं हो रहा है। पंचायत में उपस्वास्थ्य केंद्र नहीं रहने से बीमार लोग ग्रामीण चिकित्सक या फिर शहर के अस्पताल का जाकर इलाज कराते हैं। हालांकि स्वास्थ्य विभाग ने पंचायत में एएनएम की तैनाती कर रखी है। आंगनबाड़ी केंद्रों पर टीकाकरण की प्रक्रिया हो रही है।

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नहीं है पशु अस्पताल

कृषि प्रधान पंचायत रहने के कारण मवेशी की संख्या भी यहां ज्यादा है लेकिन पंचायत में एक भी पशु अस्पताल का निर्माण नहीं हो पाया है। पंचायत के किसान मवेशी का इलाज प्राइवेट चिकित्सक के भरोसे कराते हैं या फिर 15 किमी दूर प्रखंड मुख्यालय स्थित पशु अस्पताल पहुंच मवेशियों का इलाज कराते हैं।

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नहीं हुआ पंचायत सरकार भवन का निर्माण

विगत पांच साल पूर्व पंचायत को पंचायत सरकार भवन बनाने की अनुमति प्रदान हुई जो आज भी अधूरा पड़ा हुआ है। पंचायत सरकार भवन के नाम पर पूर्व मुखिया द्वारा लाखों की निकासी कर ली गई और धरातल पर कोई कार्य नहीं दिख रहा है। पंचायत सरकार भवन का कार्य पूरा नही होने से ग्रामीणों में आक्रोश व्याप्त है। मुखिया कामेश्वरी देवी ने बताया कि पंचायत सरकार भवन का कार्य मेरे कार्यकाल के पूर्व का है।

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बोले युवा

पंचायत में युवाओं के लिए रोजगार की व्यवस्था के लिए कल कारखाने की स्थापना हो। अधिकांश युवा रोजगार के लिए दूसरे राज्य एवं शहर में पलायन करने को मजबूर हैं। अगर पंचायत में रोजगार के साधन मिल जाए तो पंचायत के विकास को ओर गति प्रदान होगी।

मुकेश कुमार यादव

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पंचायत में उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के साथ कौशल विकास योजना का लाभ युवाओं को मिले तो कई युवा अपने घर से रोजगार कर सकते हैं।

विपीन कुमार

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ग्रामीणों की राय मुखिया का कार्यकाल काफी अच्छा रहा है। हर सुख दुख में वह जनता के साथ खड़ी रहती हैं। पंचायत में सड़कों का जाल बिछाया गया है जो सराहनीय है।

इंद्रदेव यादव, ग्रामीण

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पांच साल में तालाब, आहर के साथ-साथ नाली का निर्माण हुआ। पेंशन से वंचित वृद्ध लोगों को पेंशन योजना से जोड़ा गया। पटवन के लिए दो-दो गांव में बड़ा सिचाई नलकूप का निर्माण कराया गया।

रीतलाल यादव, ग्रामीण

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पंचायती राज व्यवस्था के तहत जो विकास कार्य होना चाहिए वह हुआ है। मुखिया का कार्यकाल ठीक रहा। हर व्यक्ति के साथ मुखिया खड़ी रहीं। किसी से कोई भेदभाव नहीं किया। सैकड़ों ग्रामीणों का आवास का निर्माण कराया गया।

राजेंद्र ठाकुर, ग्रामीण

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राशन कार्ड से वंचित लोगों का राशन कार्ड बनवाने में मुखिया ने अहम भूमिका निभाई। ग्रामीणों के लिए मुखिया हर समय खड़ी रहती हैं। पंचायत में सिचाई व्यवस्था को दुरूस्त करने की जरूरत है।

बालेश्वर ठाकुर, ग्रामीण

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हर घर नल जल योजना का संचालन होने के साथ ही बंद भी हो गया है। अधिकांश नल इन दिनों बंद पड़े हुए हैं। नकटी जलाशय के केनाल की सफाई वर्षों से नहीं हुई है। किसान को फसल पटवन के लिए कई परेशानियों से गुजरना पड़ता है। केनाल की सफाई होने से किसानों को काफी राहत मिलेगी।

बिहारी यादव, ग्रामीण

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मुखिया का दावा

पांच साल के कार्यकाल में पंचायत को अव्वल बनाने के लिए हर प्रयास किया गया। हर घर नल का जल योजना के तहत लोगों के घरों तक शुद्ध पेयजल पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। पंचायत के बंजर जमीन पर हरियाली लाने के लिए खैरन एवं कठबजरा में सिचाई नाला का निर्माण कराया। जिससे एक सौ एकड़ जमीन का पटवन हो रहा है। प्रधानमंत्री आवास योजना में पंचायत के लाभार्थी के सूची में नाम जुड़वाकर आठ सौ परिवार को आवास मुहैया कराया गया। सैकड़ों वृद्ध महिला एवं पुरूष को पेंशन का लाभ के अलावा स्वच्छता मिशन के तहत हर घर शौचालय का निर्माण कराया गया। दर्जनों जर्जर सड़क एवं गली का पक्कीकरण कराया गया। पंचायत को विकास में अव्वल बनाने का हर संभव प्रयास किया। जो कार्य बचे हुए है उन्हें आगामी कार्यकाल में पूरा कर लिया जाएगा।

कामेश्वरी देवी, मुखिया, बैजला


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