Move to Jagran APP

410 हेक्टेयर की हुई बंदोबस्ती, 1200 हेक्टेयर में तालाब बना दी गई नदियां

पेज तीन की लीड खबर ----------- फोटो- 03 जमुई- 37 - नदियों में पानी भरते ही साक्ष्य डूब जाने क

By JagranEdited By: Published: Sun, 03 Jul 2022 07:15 PM (IST)Updated: Sun, 03 Jul 2022 07:15 PM (IST)
410 हेक्टेयर की हुई बंदोबस्ती, 1200 हेक्टेयर में तालाब 
बना दी गई नदियां
410 हेक्टेयर की हुई बंदोबस्ती, 1200 हेक्टेयर में तालाब बना दी गई नदियां

पेज तीन की लीड खबर

loksabha election banner

-----------

फोटो- 03 जमुई- 37

- नदियों में पानी भरते ही साक्ष्य डूब जाने का जश्न मना रहे ठीकेदार और अधिकारी

- इस बरसात नदी पार करना नहीं होगा खतरों से खाली

- नदियों की ओर जाने से ग्रामीण कर रहे परहेज

-------------

- 28 घाटों की प्रथम चरण में हुई थी नीलामी

- 18 घाटों को द्वितीय चरण में मिला था विस्तार

- 410 हेक्टेयर की बंदोबस्ती में 1200 हेक्टेयर में नदियां बनी तालाब

अरविद कुमार सिंह, जमुई : कार्रवाई के कारण भारतीय प्रशासनिक सेवा की अधिकारी पूजा सिघल सुर्खियों में आई लेकिन वैसी गलतियां जमुई में भी दोहराई गई है, ऐसा कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। खासकर नदी घाटों की बंदोबस्ती और बालू उठाव के दायरे में आसमान जमीन का अंतर तो यही बता रहा है। यहां 18 बालू घाटों से 410 हेक्टेयर के दायरे में बालू उठाव की बोली लगी थी लेकिन उठाव का सिलसिला चला तो लंबाई, चौड़ाई और गहराई की तमाम सीमाएं टूट गई और 1200 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में बालू उठा लिए गए। आलम यह कि नदियों की सीमा भी संवेदक लांघ गए और अधिकारी की मौन सहमति बनी रही। ऐसा नहीं कि इस ओर किसी ने अधिकारियों का ध्यान नहीं आकृष्ट कराया। जब तक खनन का दौर चलता रहा तब तक शिकायतों की फेहरिस्त लगी रही। लेकिन, तमाम शिकायतें नक्कारखाने में तूती की आवाज बन कर रह गई। अब जब नदियों में पानी की धारा प्रवाहित हुई तो बंदोबस्तधारी से लेकर अधिकारी तक नदी की धारा से पवित्र हो जाना मानकर आह्लादित नजर आ रहे हैं। बंदोबस्ती की आड़ में बालू लूट के किरदारों के बीच जश्न का माहौल भी लाजिमी है। आखिर नीलामी की आड़ में अवैध खनन के तमाम सबूत जो पानी में धूल गए। हालांकि उन किरदारों का अत्यधिक आत्ममुग्ध होना उनकी गलतफहमी होगी। जितनी बड़े गड्ढे और दायरे में बालू का उठाव हुआ है कि उसके निशान अगले दो-तीन वर्षों में भी मिट पाना मुश्किल होगा।

-------

किऊल की हुई थी बंदोबस्ती उलाई तक उठा लिया बालू

खनिज विकास निगम द्वारा दिसंबर माह में नदी की अन्य बालू घाटों के साथ कटौना घाट की भी नीलामी हुई थी। 31 मार्च के बाद एक बार फिर 30 जून तक अवधि विस्तार मिला। लेकिन, यहां संवेदक ने कुछ स्थानीय लोगों तथा अधिकारियों की मौन सहमति की मदद से किऊल नदी के साथ-साथ उलाई नदी में भी दो किलोमीटर की लंबाई में गढ़वा कटौना तक बालू का उठाव कर लिया। टोका-टोकी करने पर लोगों को कटौना घाट की नीलामी होने का तर्क समझाया गया। लेकिन, जब दैनिक जागरण ने यह सवाल खड़ा किया तो संवेदक बालाजी आटोमोबाइल्स के संचालक सोनू सिंह की बोलती बंद हो गई। खनिज विकास पदाधिकारी शशि शंकर भी कहने लगे कि जब उठाव हो रहा था तब क्यों नहीं बताए। जबकि हकीकत यह है कि ग्रामीणों द्वारा कई बार आवेदन दिया गया। इसके अलावा बालू घाटों की नियमित निरीक्षण खनन पदाधिकारी से लेकर खान निरीक्षक की जिम्मेवारी थी। ऐसे में यह सवाल उठता है कि या तो उन्होंने जिम्मेवारी का निर्वहन नहीं किया या फिर मुंह बंद रखने की एवज में अपनी शर्तें पूरी कराई। आखिर अधिकारियों ने खुद के मुंह बंद क्यों रखे, इस सवाल का जवाब भी अधिकारियों को देना होगा। कहा तो यह भी जाता है कि संवेदक और खनिज विकास पदाधिकारी के बीच दूर की रिश्तेदारी ने भी कड़ी का काम किया है।

-------

बरनार से किऊल नदी तक की बिगड़ गई सूरत और सीरत

बालू खनन में बंदोबस्तधारियों को निर्धारित क्षेत्रफल का दायरा टूटने के कारण बरनार से लेकर किऊल नदी तक की सूरत और सीरत बिगड़ गई। समूचे नदी में तालाब ही तालाब नजर आ रहे हैं। अब स्थिति यह है कि ग्रामीण नदियों में जाने से भय खा रहे हैं। जान-माल के नुकसान का उन्हें डर सता रहा है। कटौना निवासी पूर्व जिला पार्षद अरविद कुमार राव उर्फ टुनटुन रावत ने कहा की कटौना सहित संपूर्ण जमुई की नदियां बर्बाद हो गई। कटौना में किऊल और उलाई दोनों नदी में इस कदर बालू उठाव किया गया कि नदी के इस पार से उस पार जाना अब खतरों से खाली नहीं रहा।

--------

बंदोबस्त बालू घाट और उसका क्षेत्रफल

नदी बालू घाट क्षेत्रफल बरनार - मंधाता- 23.5 बरनार - सोनो- 21 बरनार - केंदुआ - 23 बरनार - लिपटवा - 22 बरनार- जुगड़ी - 23.5 बरनार - सिमरिया - 24 बरनार- कोल्हुआ - 24 बरनार - औरैया - 24 किऊल - सतगामा - 23.5 किऊल- कटौना- 22.5 किऊल - गरसंडा - 24 किऊल - बिहारी - 20.5 किऊल - भोंड़ - 23.5 किऊल - कल्याणपुर- 21.5 किऊल - पकरी - 24 किऊल - स्मारक घाट- 22 किऊल - गरही - 22 आंजन - जोगडीहा- 22.5 ----------

जहां भी मिली जगह वहां टूट गया दायरा

नदी से बालू उठाव में बंदोबस्तधारियों ने जहां स्पेस मिला उसका फायदा उठा लिया। जिन घाटों के अगल-बगल के घाट बंदोबस्त थे उनके लिए नदी को कूप बनाना लाचारी थी। कमोवेश हर किसी ने खाना न नियमावली की दहलीज लांघी है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.