जिले में हर महीने गर्भ में ही दमतोड़ देते हैं 116 बच्चे
जमुई। जमुई के सरकारी अस्पताल में हर महीने औसतन 116 ब'चे गर्भाशय में ही दम तोड़ देते हैं।
जमुई। जमुई के सरकारी अस्पताल में हर महीने औसतन 116 बच्चे गर्भाशय में ही दम तोड़ देते हैं। यह हम नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत कार्यरत जिला स्वास्थ्य समिति की रिपोर्ट बता रही है। रिपोर्ट में बीते चार माह अगस्त, सितंबर, अक्टूबर व नंवबर की केस स्टेडी के साथ आकड़ा दिया है। इन चार महीनों में जिले के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में कुल 466 मृत बच्चे पैदा हुए जिसमें सदर अस्पताल में सर्वाधिक 126 तो दूसरे नंबर पर रेफरल अस्पताल झाझा में 94 मृत बच्चे शामिल है। लिहाजा जिला स्वास्थ्य समिति ने स्वास्थ्य विभाग को अलर्ट किया है। मृत बच्चे के पैदा होने के पीछे लापरवाही व समय पर जांच नहीं होने को जिम्मेवार माना जा रहा है। अलबत्ता एनएचएम के ताजा रिपोर्ट ने सुरक्षित प्रसव व सुरक्षित जज्जा-बच्चा के कवायद को आइना दिखा दिया है। एनएचएम के डीपीएम सुधांशु नारायण लाल ने बताया कि गर्भावस्था व प्रसव पूर्व में होने वाले जांच में लापरवाही मृत बच्चा पैदा होने का मुख्य कारण है। गर्भावस्था के प्रथम त्रिमासिक, द्वितीय त्रिमासिक व तृतीय त्रिमासिक जांच में गर्भावस्था की स्थिति का पता चल जाता है। प्रसव के 15 दिन पूर्व चौथी जांच में बच्चे के धड़कन, प्रसूता का वजन, शुगर, बल्ड प्रेशर, खून की मात्रा की जांच होनी चाहिए। इस जांच में ही जज्जा व बच्चा की स्थिति का पता चल जाता है। मृत बच्चा पैदा होने के पीछे डिलीवरी प्रोसेस की मॉनीट¨रग में लापरवाही की ओर इशारा करती है। आकड़ा के अनुसार सदर और झाझा के अलावा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लक्ष्मीपुर में 21, चकाई में 11, खैरा में 52, सिकंदरा में 34, गिद्धौर में 18, बरहट में 2, अलीगंज में 48 तथा सोनो में 60 मृत बच्चा पैदा हुआ है।
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कहते हैं सीएस
सिविल सर्जन डॉ. श्याम मोहन दास ने बताया कि आशा कार्यकर्ता व एएनएम को प्रसूता का एएनसी जांच का हरहाल में सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया गया है।
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मृत पैदा लेने वाले बच्चों का महीना वाईज आकड़ा
अस्पताल अगस्त सितंबर अक्टूबर नबंवर
सदर 47 20 34 25
झाझा 23 28 23 20
लक्ष्मीपुर 2 6 7 6
चकाई 6 2 3 0
खैरा 16 14 12 10
सिकंदरा15 8 4 7
गिद्धौर 4 2 11 1
बरहट 1 1 0 0
अलीगंज 17 11 10 10
सोनो 10 19 23 8