मासूमों के दर्द पर सरकारी मरहम, खुशियों से भरी जिंदगी
आशीष सिंह चिटू जमुई बचे जन्मजात विकृति से पीड़ित और गरीबी के कारण इलाज नहीं करा पाने की विवशता के साथ जिले के सैकड़ों मां-बाप हर दिन घुटन की जिंदगी जीने को विवश थे। अनहोनी की डर से दिन कट रहा था। ऐसे में सरकार ने इन मासूमों की सुध ली। मासूमों के दर्द पर सरकारी मलहम लगा और इनकी जिदगी खुशियों से भर गई।
जागरण विशेष
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- राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत जन्मजात विकृति के शिकार बच्चों को मिलती है इलाज की सुविधा
-हृदय रोग से पीड़ित बच्चों की संख्या 50 से अधिक
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-1258 जन्मजात विकृति पीड़ित बच्चों जिले में हुई पहचान
-524 बच्ची है पीड़ित
734 बालक हैं पीड़ित
-244 बच्चे दृष्टिदोष से पीड़ित
-205 बच्चे पैर विकार रोग से
-94 जन्मजात विकृति पीड़ित बच्चों को अब तक हुआ इलाज
-26 हृदयरोगी बच्चों का अहमदाबाद में हुआ इलाज
-55 हृदयरोग पीड़ित बच्चों की जांच प्रक्रिया पूरी
-दृष्टिदोष और पैर विकार रोग से सबसे अधिक बच्चे पीड़ित
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फोटो 3 जमुई-2,4
आशीष सिंह चिटू, जमुई : बच्चे जन्मजात विकृति से पीड़ित और गरीबी के कारण इलाज नहीं करा पाने की विवशता के साथ जिले के सैकड़ों मां-बाप हर दिन घुटन की जिंदगी जीने को विवश थे। अनहोनी की डर से दिन कट रहा था। ऐसे में सरकार ने इन मासूमों की सुध ली। मासूमों के दर्द पर सरकारी मलहम लगा और इनकी जिदगी खुशियों से भर गई। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत जन्मजात विकृति के शिकार बच्चों को इलाज की सुविधा मुहैया कराई जा रही, जबकि जन्मजात हृदय रोग से पीड़ित बच्चों को बाल हृदय योजना के तहत इलाज की सुविधा उपलब्ध कराई गई। अब इन मासूमों को चहकते देख इनके मां-बाप व स्वजन खुशी से फुले नहीं समा रहे। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के जिला समन्वयक कृष्णमूर्ति ने बताया कि वर्ष 2019-22 में अभी तक जिले के 189 जन्मजात विकृति वाले बच्चों के इलाज के लिए पूर्व प्रमाणीकरण प्राप्त हुआ है। इनमें जन्मजात हृदय रोग से पीड़ित बच्चों की संख्या 61 है। इनमें 26 हृदयरोगी बच्चों का अहमदाबाद में इलाज हुआ, जबकि 29 बच्चों की मेडिकल जांच प्रक्रिया पूरी हो गई है। इसके साथ ही पैर विकृति के 41, ओठ-तालु कटे 13, रीढ़ विकृति के सात, दृष्टि संबंधी विकार के पांच, श्रवण संबंधी विकार के एक तथा गुदा विकार के एक पीड़ित सहित कुल 94 बच्चों का इलाज हो चुका है। बताया जाता है कि हृदय रोगी बच्चों के इलाज के लिए अहमदाबाद के एक अस्पताल से करार है। जिला और राज्य स्तर पर जांच के बाद बच्चों को वहां भेजा जाता है। इलाज से लेकर आने-जाने, रहने की व्यवस्था का खर्च सरकार उठाती है। हालांकि जिले में जन्मजात विकृति के शिकार बच्चों की लिस्ट लंबी है। जिले में विभिन्न जन्मजात विकृति के शिकार 1258 बच्चों की पहचान हुई है। इनमें 524 बच्ची और 734 लड़के शामिल हैं।
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दृष्टिदोष व पैर विकार रोग से सबसे अधिक बच्चे पीड़ित
जन्मजात विकृति के शिकार बच्चों में ²ष्टिदोष व पैर विकार रोग से सबसे अधिक बच्चे पीड़ित है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के आंकड़े के अनुसार जिले में दृष्टिदोष से 244 बच्चे पीड़ित है जिसमें 114 बालिका और 130 बालक है। पैर विकार रोग से 205 बच्चे जिसमें 134 लड़का व 71 बच्ची पीड़ित है।
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इलाज के लिए भेजा जाता है अलग-अलग अस्पताल
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के जिला समन्वयक कृष्णमूर्ति ने बताया कि हृदयरोगी बच्चों को पटना स्थित इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान में जांच के लिए भेजा जाता है। वहां से डाक्टर की टीम बच्चे की स्थिति देखकर अहमदाबाद स्थित सत्य साई अस्पताल रेफर करते हैं। पैर मुड़ा या पैर विकार और मोतियाबिंद से पीड़ित बच्चों को भागलपुर स्थित जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कालेज भेजा जाता है। तालू कटा, रीढ़ हड्डी विकृति, सिर विकृति के पीड़ित को इलाज के लिए एम्स पटना भेजा जाता है। पीड़ित बच्चों का इलाज व आवागमन नि:शुल्क है।
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इलाज के लिए प्राप्त पूर्व प्रमाणीकरण
विकार-----------संख्या
हृदयरोग-------------61
दृष्टि विकार----------10
श्रवण विकार-------- 7
मूत्र विकार-----------2
पैर मुड़ा--------------59
रीढ़ विकार ----------22
कुल्ल विकार---------1
ओठ-तालू विकार ---28
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जन्मजात विकृति के शिकार बच्चों की संख्या
विकृति ---बालक--बालिका--- कुल
रीढ़ -----11---10-----21
मंदबुद्धि-------------6------------9-------15
ओठ-तालू कटा----36----------24-------60
पैर मुड़ा-----------134---------71-------205
कुल्ला-------------12------------6-------18
मोतियाबिद-------6-------------13-------19
बहरापन----------41------------35-------76
हृदयरोग---------36-------------25-------61
आंख रेटिना-------5--------------4--------9
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जन्मजात विकासनात्मक दोष
विकृति -----------बालक-----बालिका--- कुल
दृष्टि दोष---------130---114----244
श्रवण दोष--------35----36------71
नस संबंधित-----55-----34-----89
मोटर डिले-------30-----12-----42
बौधिक ----------42------31----73
बोलने में देरी-----106----71----178
आटिज्म---------5-------5-----10
सीखना विकार----41-----22----63
गुस्सा--------------3--------1-----4
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कोट
अब तक 94 बच्चों का इलाज पूर्ण हुआ है। कोरोना काल कार्यक्रम की गति प्रभावित हुई थी। अब हर सप्ताह जिले से बच्चों का बैच भेज रहा है।
कृष्णमूर्ति, जिला समन्वयक, राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम, जमुई