पंक्चर बनाने वाला का बेटा बना बीडीओ
संवाद सूत्र सिकंदरा (जमुई) प्रखंड के पोहे गांव निवासी शमीम खान के पुत्र हदीद खान ने बीपीएससी की 66वीं संयुक्त परीक्षा में पहले ही प्रयास में 80वां रैंक हासिल कर बीडीओ पद पर चयनित हुए हैं। हदीद खान ने प्रारंभिक शिक्षा से लेकर उच शिक्षा तक की पढ़ाई घर पर रहकर सरकारी स्कूल में की है।
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संवाद सूत्र, सिकंदरा (जमुई): प्रखंड के पोहे गांव निवासी शमीम खान के पुत्र हदीद खान ने बीपीएससी की 66वीं संयुक्त परीक्षा में पहले ही प्रयास में 80वां रैंक हासिल कर बीडीओ पद पर चयनित हुए हैं। हदीद खान ने प्रारंभिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक की पढ़ाई घर पर रहकर सरकारी स्कूल में की है। हदीद खान के पिता शमीम खान सिकदरा के जमुई रोड स्थित भगत पेट्रोल पंप के आगे फुटपाथ पर टायर का पंक्चर बनाते हैं। घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के बावजूद हदीद ने हार नहीं मानी। संघर्ष और लगन के बल पर सफलता प्राप्त कर छात्रों को संदेश दिया। बताया जाता है कि हदीद ने पोहे गांव स्थित उत्क्रमित उच्च विद्यालय से आठवीं, सिकंदरा स्थित प्लस टू श्रीकृष्ण विद्यालय से मैट्रिक तथा इंटर की परीक्षा पास की। मगध विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल की।
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आरडीओ के पद पर गोपाल का हुआ चयन
संवाद सूत्र, गिद्धौर (जमुई): प्रखंड के सरसा गांव निवासी किराना दुकानदार सुरेंद्र कुमार गुप्ता के पुत्र गोपाल कुमार गुप्ता बीपीएससी की परीक्षा में सफलता प्राप्त कर आरडीओ पद पर चयनित हुए हैं। पिता सुरेंद्र गुप्ता व मां मीरा देवी ने बताया कि गोपाल बचपन से ही पढ़ने में मेधावी था। वर्ष 2009 में प्लस टू महाराजा चंद्रचूड़ विद्यामंदिर गिद्धौर से मैट्रिक व इंटर साइंस में प्रथम स्थान प्राप्त किया था। इसके बाद कोलकाता के जेआइएस इंजीनियरिग कालेज से बीटेक कर फिलहाल वह भारतीय रेल में कार्यरत है। गोपाल ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को दी।
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चकाई की रूपा बनी कार्यपालक पदाधिकारी
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संवाद सूत्र, चंद्रमंडी (जमुई): प्रखंड के बिचकोडवा गांव की बेटी रूपा ने 66 वीं बीपीएससी परीक्षा में सफलता प्राप्त कर चकाई का नाम रोशन किया है। उनका चयन म्युनिसिपल एक्सक्यूटिव आफिसर के पद पर हुआ है। बीपीएससी परीक्षा में सफलता मिलने की जानकारी मिलते ही स्वजनों के साथ ही स्थानीय लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई। रूपा के पिता नंदकिशोर प्रसाद अवकाश प्राप्त शिक्षक हैं जबकि मां साधना देवी हाउस वाइफ हैं। पिता ने बताया कि रूपा बचपन से ही मेधावी थी। रुपा ने अपनी सफलता का श्रेय कठिन परिश्रम के साथ ही माता-पिता, गुरुजनों, मित्रों को देते हुए कहा कि ग्रामीण समाज में आज भी बेटियों की पढ़ाई पर उतना ध्यान नहीं दिया जाता है।