ऐ मौत तूने मुझे जमींदार कर दिया..
जमुई। दो ग•ा सही मगर यह मेरी मिल्कियत तो है.. ऐ मौत तूने मुझे जमींदार कर दिया..। राहत इंदौरी ने इस शेर के साथ जमुई में दैनिक जागरण द्वारा आयोजित 2017 के कवि सम्मेलन की शुरुआत की थी।
जमुई। दो ग•ा सही मगर यह मेरी मिल्कियत तो है.. ऐ मौत तूने मुझे जमींदार कर दिया..। राहत इंदौरी ने इस शेर के साथ जमुई में दैनिक जागरण द्वारा आयोजित 2017 के कवि सम्मेलन की शुरुआत की थी। 1 जून 2017 को जमुई के गांधी पुस्तकालय मैदान में हजारों दर्शकों के बीच जब राहत इंदौरी ने अपने अंदाज में पढ़ना शुरू किया तो लोगों को यह एहसास भी नहीं हुआ कि वह उर्दू जुबान की शेरों को सहजता के साथ समझ रहे हैं। राहत इंदौरी ने मोहन समर, दिनेश दिग्गज, पार्थ नवीन एवं अनामिका अम्बर के साथ मंच साझा किया था।
जमुई वासियों के लिए यह पहला मौका था जब राहत इंदौरी जैसे मशहूर शायर का आगमन जमुई में हुआ था। कवि सम्मेलन के दौरान राहत इंदौरी ने श्रोताओं को गजलों तथा शेरों की बारीकियों को भी समझाने का प्रयास किया अपनी काव्य पाठ में राहत इंदौरी ने, बुलाती है मगर जाने का नहीं
ये दुनिया है इधर जाने का नहीं...
हम से पहले भी मुसाफिर कई गु•ारे होंगे
कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते ..
राहत इंदौरी ने जमुई जैसे छोटे शहर में आयोजित होने वाले कवि सम्मेलन को यादगार बना दिया था। देर रात तक लोग अपनी कुर्सियों पर डटे थे और चारों ओर से वाह-वाह की आवाज आ रही थी। राहत इंदौरी के आकस्मिक निधन से जमुई के काव्य प्रेमियों को गहरा आघात पहुंचा है। वे राहत इंदौरी के कार्यक्रम को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं।