Move to Jagran APP

मत्स्य बीज उत्पादन में आत्मनिर्भर बना जिला

संवाद सहयोगी जमुई मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार और केंद्र सरकार द्वारा संचालित योजनाओं को लागू करने के बाद जीरा उत्पादन में जिला आत्मनिर्भर बनता चला जा रहा है। पिछले वित्तीय वर्ष में एक सौ क्विंटल जीरा का उत्पादन किया गया था। वहीं इस वर्ष द्वितीय वर्ष में 300 क्विंटल जीरा उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 30 Jul 2022 05:30 PM (IST)Updated: Sat, 30 Jul 2022 05:30 PM (IST)
मत्स्य बीज उत्पादन में आत्मनिर्भर बना जिला
मत्स्य बीज उत्पादन में आत्मनिर्भर बना जिला

- 300 क्विंटल जीरा उत्पादन इस वर्ष रखा गया है लक्ष्य

loksabha election banner

- 600 रुपये क्विंटल जीरा पूर्व में मिलता था

- 159 सरकारी और एक सौ निजी तालाब में हो रहा मत्स्य पालन

------------

- मछली पालन की तरफ जिले के लोगों का बढ़ा रुझान

- विभाग को जीरा उत्पादन से प्राप्त हो रहा है राजस्व

संवाद सहयोगी, जमुई : मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार और केंद्र सरकार द्वारा संचालित योजनाओं को लागू करने के बाद जीरा उत्पादन में जिला आत्मनिर्भर बनता चला जा रहा है। पिछले वित्तीय वर्ष में एक सौ क्विंटल जीरा का उत्पादन किया गया था। वहीं इस वर्ष द्वितीय वर्ष में 300 क्विंटल जीरा उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।

जिला मत्स्य पदाधिकारी ने बताया कि जिले में मछली के जीरा का उत्पादन नहीं होने के कारण दूसरे प्रदेशों से मत्स्य पालकों को 600 से 700 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से जीरा मिलता था। वर्तमान समय में ढाई सौ से तीन सौ रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से जीरा मिल जाता है। जिसके कारण मछली पालन की तरफ जिले के लोगों का रुझान बढ़ा है और स्थानीय स्तर पर कवायद करने के पश्चात जिले का रैंकिग वर्तमान समय में राज्य में 35वें स्थान पर पहुंच पाया है। हालांकि वर्तमान समय में जिले में कुल 159 सरकारी तालाब और एक सौ निजी तालाब के माध्यम से मत्स्य पालन का कार्य भी हो रहा है। जिनके राजस्व के तौर पर विभाग को प्रत्येक वर्ष छह लाख 45 हजार प्राप्त भी होता है।

------------

अलग-अलग कोटि के लोगों के लिए राशि का प्रविधान

सरकार के द्वारा मत्स्य पालन को व्यापक रूप देने के लिए रियरिग, नया नर्सरी और नया तालाब बनवाने के लिए छह लाख रुपये का प्रविधान किया गया है। इस योजना में अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़ा वर्ग के लोगों के लिए 90 फीसद तथा सामान्य जाति के लोगों के लिए 40 फीसद का अनुदान देने का प्रविधान किया गया है। वहीं प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना में रियरिग, नया नर्सरी और तालाब बनाने के लिए सात लाख रुपया का प्रविधान किया गया है। इस योजना में अनुसूचित जाति, जनजाति और महिला के लिए 60 फीसद सामान्य कोटि तथा पिछड़ा वर्ग के लोगों के लिए 40 फीसद अनुदान देने की व्यवस्था है। इसके अलावा उन्नत मत्स्य बीज योजना के तहत सामान्य कोटि के लोगों के लिए 50 फीसद, ट्यूबवेल पंप सेट योजना के तहत अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़ा वर्ग के लोगों के लिए 90 फीसद तथा सामान्य कोटि के लोगों के लिए 50 फीसद अनुदान का प्रविधान किया गया है। इसके अलावा उन्नत इनपुट योजना के तहत अनुसूचित जाति जनजाति और पिछड़ा वर्ग के लिए 90 फीसद तथा सामान्य कोटि के लोगों के लिए 50 फीसद तथा चार पहिया वाहन, तीन पहिया वाहन खरीद के लिए अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़ा वर्ग के लोगों को कुल लागत का 90 फीसद अनुदान देने का प्रविधान किया गया है।

------

कोट

मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए विभाग की ओर से समुचित प्रयत्न किया जा रहा है। इस वित्तीय वर्ष में पिछले वर्ष की अपेक्षा मछली के जीरा का अधिक उत्पादन जिले में किया जाएगा।

कृष्ण कन्हैया, जिला मत्स्य पदाधिकारी, जमुई


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.