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सरकारी दुकान से 97 फीसद किसानों ने बनाई दूरी

अरविद कुमार सिंह जमुई इसे व्यवस्था की मार कहें या फिर किसानों की उदासीनता लेकिन 97 फीसद किसान सरकार की दुकानों में फसल बेचने से कतराते हैं। जिले के कुल पांच लाख किसानों में खरीफ फसल खासकर धान बेचने के लिए मात्र 14002 किसानों ने सहकारिता विभाग में आनलाइन आवेदन किया है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 05 Dec 2021 06:02 PM (IST)Updated: Sun, 05 Dec 2021 06:02 PM (IST)
सरकारी दुकान से 97 फीसद किसानों ने बनाई दूरी
सरकारी दुकान से 97 फीसद किसानों ने बनाई दूरी

- कृषि विभाग में पंजीकृत हैं 5,02,406 किसान

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- धान बेचने के लिए सहकारिता विभाग को 14022 ने किया आनलाइन आवेदन

- भुगतान में लेटलतीफी तथा पैक्स की डंडीमार व्यवस्था से भाग रहे किसान

फोटो- 05 जमुई- 11,12,13,14

अरविद कुमार सिंह, जमुई : इसे व्यवस्था की मार कहें या फिर किसानों की उदासीनता, लेकिन 97 फीसद किसान सरकार की दुकानों में फसल बेचने से कतराते हैं। जिले के कुल पांच लाख किसानों में खरीफ फसल, खासकर धान बेचने के लिए मात्र 14,002 किसानों ने सहकारिता विभाग में आनलाइन आवेदन किया है।

यह आंकड़ा चौंकाने वाला है। कुल मिलाकर प्रतिशत के हिसाब से देखें तो यह तीन प्रतिशत से भी कम है। अभी 15 दिसंबर तक पंजीयन होना है। पंजीयन की रफ्तार से ऐसा नहीं लगता कि यह आंकड़ा 15000 को भी छू पायेगा। यह स्थिति तब है जब बाजार से 700-800 रुपये प्रति क्विंटल न्यूनतम समर्थन मूल्य अधिक है। बाजार में व्यापारी अभी 1160 से 1200 रुपये प्रति क्विंटल धान खरीद कर रहे हैं। सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य 1940 रुपये प्रति क्विंटल है। बीते साल भी मात्र 9000 किसानों ने पैक्स में धान बेचा था। पैक्स में पहले नमी उसके बाद धान में धूल। सब कुछ के बाद तकरीबन ढाई सौ रुपये प्रति क्विंटल की कटौती के बावजूद भुगतान में लेटलतीफी की वजह से किसान अपनी फसल बेचने के लिए सरकारी दुकान की ओर मुखातिब नहीं होते हैं।

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भुगतान पाने में घिस जाते हैं जूते

अकौनी के किसान बम शंकर सिंह ने कहा की पैक्स को धान बेचने से लेकर भुगतान पाने तक में किसानों के जूते घिस जाते हैं। पहले नमी, फिर धूल, उसके बाद बोरा, फिर क्विंटल में पांच किलो अधिक वजन और दो से ढाई सौ रुपये कमीशन की कटौती के बाद भी भुगतान पाने में महीनों लग जाते हैं। यही कारण है कि किसान मन मसोसकर व्यापारी को 1200 रुपये प्रति क्विंटल की दर से धान बेच रहे हैं।

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छह साल पहले बेचा था पैक्स में धान

बुकार के किसान मु. ताहिर अंसारी ने छह साल पहले पैक्स में धान बेचा था। उसके बाद से वे पैक्स का रास्ता ही भूल गए। बेटी की शादी में भी खुद की फसल की राशि काम नहीं आई थी। उसके बाद से ही नकद कीमत प्राप्त कर व्यापारी को बेचना शुरू कर दिया।

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बाक्स

समय से नहीं मिलता भुगतान, व्यापारी के हाथों बेचना लाचारी

जमुई : सेवा गांव के हिमांशु शेखर सिंह, पतसंडा के मुमताज अंसारी, बानाडीह के राम नरेश यादव, केशोपुर के अरविद सिंह, कनौलीटांड़ के सुनील यादव, रंजीत यादव बताते हैं कि समय से कीमत भुगतान की सबसे बड़ी समस्या है। किसानों को रुपये की तुरंत जरूरत होती है। खासकर रबी फसल की बोआई से लेकर उसके पटवन एवं उर्वरक पर खर्च के लिए पर्याप्त राशि भी समय से नहीं मिल पाता है। यही कारण है कि औने पौने दाम में भी व्यापारी को धान बेचना लाचारी है।

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कृषि विभाग में पंजीकृत किसानों की संख्या धान की रोपनी का रकबा

प्रखंड- कृषि विभाग में पंजीकृत किसान- धान की रोपनी का रकबा बरहट- 26416- 5668 हेक्टेयर चकाई- 80486 - 8106 हेक्टेयर गिद्धौर- 20816 - 5563 हेक्टेयर अलीगंज-26230 - 5078 हेक्टेयर जमुई- 35597 - 8683 हेक्टेयर झाझा- 71770 - 7127 हेक्टेयर खैरा- 86981- 8083 हेक्टेयर लक्ष्मीपुर- 42665 - 6813 हेक्टेयर सिकंदरा- 30297 - 6774 हेक्टेयर सोनो- 74190 - 6897 हेक्टेयर --------- धान बेचने के लिए आवेदन करने वाले कृषकों की प्रखंडवार विवरणी प्रखंड- कुल आवेदन- रैयत- गैर रैयत बरहट- 935- 271- 664 चकाई- 1146- 179- 967 गिद्धौर- 609- 275- 334 अलीगंज- 1251- 548- 703 जमुई- 2102- 808- 1294 झाझा- 884- 329- 555 खैरा- 2540- 382- 2158 लक्ष्मीपुर- 1272- 258- 1014 सिकंदरा- 1958- 661- 1297 सोनो- 1325- 476- 849 --------

कोट

कृषि विभाग में कुल 5,02,406 किसान पंजीकृत हैं। जिले में इस वर्ष 63000 लक्ष्य के विरुद्ध 109 फीसद अधिक 68793 हेक्टेयर में धान का उत्पादन हुआ है।

अविनाश चंद्र, जिला कृषि पदाधिकारी, जमुई

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कोट

पिछले साल की तुलना में इस साल डेढ़ गुना से अधिक किसानों ने पैक्स व व्यापार मंडल को धान बेचने के लिए पंजीयन कराया है। भुगतान में लेटलतीफी या फिर किसानों को परेशान करने की कोई भी शिकायत बर्दाश्त नहीं की जाएगी। संबंधित एजेंसी के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी।

संजीव कुमार सिंह, जिला सहकारिता पदाधिकारी, जमुई


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