जून में सहमे किसानों को जुलाई में भी वर्षा ने रुलाया
संवाद सहयोगी जमुई जून में मानसून की बेरुखी देख किसान सहमे थे। जुलाई ने तो उन्हें रुला ही दिया। जुलाई में सामान्य वर्षापात का महज 31.32 फीसद ही जिले में वर्षा हुई जो सामान्य वर्षापात 289.20 एमएम से 68.68 फीसद कम है। लिहाज धान रोपनी के लिए सबसे उपयुक्त महीना जुलाई बीतने के बाद भी जिले में महज 2.77 फीसद ही रोपनी हो पाई है। इसके पहले जून में भी 65.76 फीसद ही वर्षा हुई थी यानि सामान्य वर्षापात से 34.14 फीसद कम।
फोटो 1 जमुई-1
-31.32 फीसद जुलाई में हुई वर्षा
-2.77 फीसद हुई है धान की रोपनी
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-बोरिग के सहारे धान रोपने के प्रयास में जुटे कई किसान
-एक तरफ होता कादो तो दूसरी तरफ सूख रही खेत
- खर्च के बाद भी धान की फसल पर ग्रहण
- 03 योजना में बीज लेने के लिए 37 लाख से अधिक की राशि किसानों ने की खर्च
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संवाद सहयोगी, जमुई : जून में मानसून की बेरुखी देख किसान सहमे थे। जुलाई ने तो उन्हें रुला ही दिया। जुलाई में सामान्य वर्षापात का महज 31.32 फीसद ही जिले में वर्षा हुई, जो सामान्य वर्षापात 289.20 एमएम से 68.68 फीसद कम है। लिहाज, धान रोपनी के लिए सबसे उपयुक्त महीना जुलाई बीतने के बाद भी जिले में महज 2.77 फीसद ही रोपनी हो पाई है। इसके पहले जून में भी 65.76 फीसद ही वर्षा हुई थी यानि सामान्य वर्षापात से 34.14 फीसद कम। मानसून की बेरुखी से जिले में वर्षा की अकाल पड़ गई है। किसान वर्षा का इंतजार कर थक चुके हैं। सावन में भी मौसम का यह रूप देखकर किसानों का कलेजा कांप रहा है। सूखते धान का बिचड़ा देख किसानों की आंखें सजल हो उठती है। कई किसान बोरिग के सहारे धान की रोपनी के लिए खेत तैयार करने में जुटे हैं। आलम यह है कि खेत के एक हिस्से में जब तक कुदाल होता तब तक दूसरा हिस्सा सूख जा रहा है। किसान परिस्थिति और स्थिति देखकर दुखी व परेशान है। कई किसानों ने कहा कि कृषि के लिए सबसे जरूरी सिचाई पर किसी का ध्यान नहीं। किसानों ने कहा कि हमें अनुदान नहीं, बस सिंचाई की व्यवस्था दीजिए।
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79 लाख से अधिक राशि का बिचड़ा खेत में सूख रहा
जिले की मुख्य खेती धान की है। धान की कलियां जितनी मोटी व भरी होती है, खुशियां उतनी उमंगित व आनंदित होती है। कितु इस वर्ष हालात ऐसे हैं कि धान की कलियां की बात छोड़िए, बिचड़ा ही खेतों में सूख रहा है। इससे किसानों का आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है। कृषि विभाग की तीन योजना की गणना से किसानों को नुकसान को मोटे तौर पर समझा जा सकता है। कृषि विभाग द्वारा मुख्यमंत्री तीव्र बीज विस्तार योजना के तहत जिले में 451.8 क्विंटल बीज अनुदानित दर पर बेचा गया। इस बीज की कीमत 42 रुपये प्रति किलो है और 90 फीसद अनुदान पर किसानों को उपलब्ध कराया गया। इस हिसाब से 18 लाख 97 हजार 560 रुपये का बीज वितरित किया गया। इसमें एक लाख 89 हजार 756 रुपये किसानों का खर्च हुआ। इसी प्रकार प्रमाणित बीज वितरण योजना 10 वर्ष से कम अवधि प्रभेद के तहत वितरित 505 क्विटल बीज 40 रुपये प्रति किलो की दर से 20 लाख 22 हजार 320 रुपया का हुआ। यह पचास फीसद अनुदान पर किसानों को उपलब्ध कराया गया यानि दस लाख 11 हजार 160 रुपये की राशि किसानों ने भी खर्च की। तीसरी योजना 10 वर्ष से अधिक प्रभेद अंतर्गत 40 रुपये प्रतिकिलो की दर वाली 1005 क्विंटल बीज का वितरण किया गया। इसमें अधिकतम 15 रुपया का अनुदान दिया गया। इस मद में 40 लाख 20 हजार का बीज वितरित किया गया। जिसमें 25 लाख 12 हजार पांच सौ रुपये किसानों का खर्च हुआ। इस प्रकार जिले में सरकारी स्तर पर 79 लाख 39 हजार 880 रुपया का बीज तीन योजना के अंतर्गत वितरित किया गया। पानी के अभाव में ये बीज खेतों में सूख रहा है। इसमें किसानों की 37 लाख 13 हजार 416 रुपये भी शामिल है।
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दो अंकों में नहीं पहुंची है रोपनी का आंकड़ा
धान की रोपनी के लिए सर्वोत्तम जुलाई गुजर गया, लेकिन धान रोपनी रफ्तार नहीं पकड़ सकी। आलम यह है कि किसी भी प्रखंड में रोपनी का आंकड़ा दो अंकों में नहीं पहुंच पाया है। कृषि विभाग की रिपोर्ट के अनुसार अब तक सबसे अधिक सदर प्रखंड में लक्ष्य का 8.53 फीसद रोपनी हुई है। इसके बाद चकाई में 5.73 फीसद रोपनी हो पाई है। गिद्धौर और झाझा, बरहट, लक्ष्मीपुर, सोनो में रोपनी का फीसद एक से भी कम है। पूरे जिले में 2.77 फीसद रोपनी हो पाई है।
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तिथिवार जिले में हुई औसत वर्षापात तिथि------------वर्षापात
25 जुलाई---------0.3
26 जुलाई---------0.9
27 जुलाई---------6.0
28 जुलाई---------7.7
29 जुलाई---------3.0
30 जुलाई---------0.3
31 जुलाई---------4.2
----------------- धान रोपनी की स्थिति प्रखंडवार
प्रखंड--------फीसद
अलीगंज------2.66
बरहट--------0.60
चकाई--------5.73
गिद्धौर--------0.51
जमुई----------8.53
झाझा----------0.51
खैरा------------2.08
लक्ष्मीपुर-------0.93
सिकंदरा-------1.88
सोनो-----------0.80
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कोट
आकस्मिक फसल योजना को स्वीकृति और बीज आवंटन के लिए मुख्यालय प्रेषित किया गया है।
अविनाश चंद्र, जिला कृषि पदाधिकारी, जमुई