अंधे को भी आंख बना देता है दिव्यांगता प्रमाणीकरण बोर्ड
जमुई। दिव्यांगों को दिव्यांगता प्रमाण पत्र निर्गत करने के लिए जिले के दिव्यांगता प्रमाणीकरण बोर्ड ने
जमुई। दिव्यांगों को दिव्यांगता प्रमाण पत्र निर्गत करने के लिए जिले के दिव्यांगता प्रमाणीकरण बोर्ड ने हैरतअंगेज कारनामा कर दिखाया है। इसने दोनों आंख से ²ष्टिहीन व्यक्ति को आंख वाला बना दिया है। जिस व्यक्ति को दिल्ली के अस्पताल ने शत-प्रतिशत दिव्यांगता प्रमाण पत्र निर्गत किया था उस व्यक्ति के आंख में जिला दिव्यांगता प्रमाणीकरण बोर्ड को 45 फीसद ही ²ष्टिदोष दिखा बाकी 55 फीसद ²ष्टि दुरुस्त दिखी। अब दिव्यांग प्रमाण पत्र में सुधार को लेकर महीने भर से सीएस कार्यालय का चक्कर काट रहा है। सोमवार को जागरण प्रतिनिधि के प्रयास के बाद सीएस ने मामले पर संज्ञान लेते हुए चिकित्सक से बात कर पुन: दिव्यांगता प्रमाण पत्र बनाने का निर्देश दिया। सिकंदरा प्रखंड के लोहंडा निवासी राजकुमार ²ष्टिहीन हैं। उन्होंने बताया कि वे जन्मजात ²ष्टिहीन हैं। हिंदू राव अस्पताल दिल्ली द्वारा 21 नवंबर 1995 को शत-प्रतिशत दिव्यांगता का प्रमाण-पत्र निर्गत किया गया था। रेलवे में रियायत दर पर टिकट लेने में परेशानी आ रही थी। रेलवे द्वारा लाभ प्राप्त करने के लिए स्थानीय स्तर पर प्रमाण-पत्र बनाने की बात कही गई। इसी कारण जमुई से दिव्यांगता प्रमाण पत्र बनाया गया। उन्होंने बताया कि 17 अप्रैल को आयोजित दिव्यांगता प्रमाणीकरण बोर्ड में शत-प्रतिशत दिव्यांगता की बात कही गई थी मगर प्रमाण-पत्र में महज 45 फीसद दिव्यांगता दर्ज की गई। उन्होंने बताया कि दिव्यांगता कम होने से उन्हें रेलवे के रियायत टिकट के साथ-साथ अन्य योजनाओं में भी लाभ लेने में परेशानी उठानी पड़ रही है। प्रमाण-पत्र में सुधार के लिए स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारियों का दरवाजा खटखटा चुके हैं।
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कोट
प्रमाण-पत्र को दुरुस्त किया जाएगा। इसके लिए संबंधित चिकित्सक को निर्देश दिया गया है। कोई परेशानी होने की स्थिति में दिव्यांग को सीधे उनसे संपर्क करने को कहा गया है।
डॉ. श्याम मोहन दास
सिविल सर्जन, जमुई।