मुर्गीपालकों की आर्थिक समृद्धि का साधन बना चिबरो और वनराजा
संवाद सहयोगी जमुई पशु संसाधन विभाग द्वारा प्रथम चरण में जिले के झाझा और गिद्धौर प्रखंड में 110 मुर्गीपालकों के बीच मुर्गा का सबसे उन्नत प्रजाति चिबरो और वनराजा नस्ल का चूजा का वितरण किया गया है। जिला पशु संसाधन पदाधिकारी ने बताया कि इसका वितरण राज्य सरकार के निर्देशानुसार गरीबी रेखा से नीचे गुजर-बसर करने वाले मुर्गी पालकों के बीच किया गया है।
फोटो- 03 जमुई- 16
- 25 चूजा 10 रुपये अनदानित दर पर दिया गया
- 600 से 700 रुपये किलो की दर से बिकता है इसका मांस
-110 परिवार के बीच किया गया है इसके चूजा का वितरण
-300 से 400 ग्राम प्रत्येक चूजा का रहता है वजन
-----------
- सामान्य मुर्गा की अपेक्षा तेजी से होता है इसका विकास
- सामान्य तरीके से करना पड़ता है इसका रखरखाव
-------------
संवाद सहयोगी, जमुई: पशु संसाधन विभाग द्वारा प्रथम चरण में जिले के झाझा और गिद्धौर प्रखंड में 110 मुर्गीपालकों के बीच मुर्गा का सबसे उन्नत प्रजाति चिबरो और वनराजा नस्ल का चूजा का वितरण किया गया है। जिला पशु संसाधन पदाधिकारी ने बताया कि इसका वितरण राज्य सरकार के निर्देशानुसार गरीबी रेखा से नीचे गुजर-बसर करने वाले मुर्गी पालकों के बीच किया गया है।
यह बहुत ही उन्नत किस्म का मुर्गा है और वर्तमान समय में जिले की जलवायु इसके पालन के लिए अनुकूल हो चुकी है। मुर्गी पालकों को इसके रखरखाव में बहुत ही कम राशि खर्च करना पड़ता है और इसे घर के अंदर भी सामान्य तरीके से रखा जा सकता है। इसके रखरखाव के लिए अलग से कोई व्यवस्था नहीं करनी पड़ती है। यह आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों की आर्थिक उत्थान में बहुत बड़ा सहयोगी है। सामान्य नस्ल के मुर्गा के अपेक्षा इसका ग्रोथ बहुत ही तीव्र गति से होता है।
-----
प्रोटीन का है भरपूर स्त्रोत
सामान्य नस्ल के सभी मुर्गा की अपेक्षा इसका मांस बाजार में अधिक दर पर बिकता है। यह दोनों नस्ल ही प्रोटीन का भरपूर स्त्रोत है। सामान्य नस्ल का मुर्गा जहां एक से डेढ़ किलो वजन का होता है।वही यह काफी कम दिन में तीन से चार किलो वजन का हो जाता है। मुर्गी पालको के बीच इसके चूजा को वितरित करने से पूर्व सभी बीमारियों से बचाव के लिए इसे विभाग के द्वारा टीका लगाया जाता है। जिसके कारण सभी प्रकार के बीमारियों से लड़ने की रोग प्रतिरोधक क्षमता इसके शरीर में बहुत ज्यादा होती है। सामान्य तौर पर मुर्गी पालकों के बीच 300 से 400 ग्राम के वजन के प्रत्येक चूजा का वितरण किया जाता है। इसका अंडा और मांस दोनों ही शारीरिक रूप से कमजोर लोगों के विकास में बहुत बड़ा सहयोगी है।
----
कोट
जल्द ही अन्य प्रखंड के मुर्गी पालकों के बीच भी इस किस्म के मुर्गा का वितरण किया जाएगा। इसके लिए विभाग को प्रस्ताव भेजा गया है और विभाग से स्वीकृति मिलने के पश्चात इसे शीघ्र ही जिले के सभी प्रखंडों में लागू किया जाएगा।
डा. अंजनी कुमार सिन्हा, जिला पशुपालन पदाधिकारी, जमुई