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हर गली, हर मुहल्ले में कोचिग, निबंधित एक भी नहीं

संवाद सहयोगी जमुई निजी कोचिग संस्थान में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और सुरक्षा को लेकर जारी सरकारी गाइडलाइन की धज्जियां जिले में उड़ रही है। बिहार कोचिग संस्थान नियंत्रण एवं विनियमन अधिनियम का कोचिग संस्थान निर्धारित मानक से कोसों दूर हैं। अधिकारियों की अनदेखी का कोचिग संचालक फायदा उठा रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 22 Dec 2021 06:04 PM (IST)Updated: Wed, 22 Dec 2021 06:04 PM (IST)
हर गली, हर मुहल्ले में कोचिग, निबंधित एक भी नहीं
हर गली, हर मुहल्ले में कोचिग, निबंधित एक भी नहीं

- 102 कोचिग संस्थान संचालित जिले में हो रही संचालित

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- 05 हजार रुपये निबंधन के लिए किए गए हैं तय

- कोर्स पूरा करने के नाम पर ली जाती है विषय वार मोटी रकम

- अधिकारियों की अनदेखी का फायदा उठा रहे कोचिंग संचालक

संवाद सहयोगी, जमुई : निजी कोचिग संस्थान में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और सुरक्षा को लेकर जारी सरकारी गाइडलाइन की धज्जियां जिले में उड़ रही है। बिहार कोचिग संस्थान नियंत्रण एवं विनियमन अधिनियम का कोचिग संस्थान निर्धारित मानक से कोसों दूर हैं। अधिकारियों की अनदेखी का कोचिग संचालक फायदा उठा रहे हैं।

शिक्षा विभाग के अनुसार जिले में एक भी कोचिग सेंटर निबंधित नहीं है। हालांकि विभाग के सर्वे में जिले में 102 कोचिग संस्थान संचालित होने की बात बताई है, कितु धरातल पर इससे कहीं ज्यादा कोचिग संस्थान संचालित हैं। 70 से 80 की संख्या में कोचिग सिर्फ जिला मुख्यालय में संचालित हैं। इन कोचिग संस्थानों द्वारा बच्चों का कोर्स पूरा करने के नाम पर अभिभावकों से विषय वार मोटी रकम ली जाती है, लेकिन इनमें सुविधा बिल्कुल ही नगण्य है। इन कोचिग संस्थानों में बच्चों को भेड़ बकरी की तरह बिठाकर शिक्षा दी जाती है।

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कोचिग संस्थान के लिए तय मानक

राज्य सरकार द्वारा बिहार कोचिग संस्थान नियंत्रण एवं विनियमन अधिनियम 2010 में प्रविधान किया गया है कि सबसे पहले कोचिग का निबंधन कराना अनिवार्य है। इसके लिए पांच हजार रुपये शुल्क भुगतान करना पड़ेगा। साथ ही यह प्रावधान किया गया है कि निबंधित कोचिग में बेंच और डेस्क, प्रकाश, पेयजल, शौचालय और अग्निशमन की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए। इसके अलावा आकस्मिक चिकित्सा सुविधा, साइकिल और वाहन की पार्किंग की व्यवस्था होनी चाहिए। साथ ही कोचिग संचालक को प्रत्येक तीन वर्ष पर निबंधन का नवीकरण कराने के लिए तीन हजार रुपये शुल्क के तौर पर भी अदा करना पड़ेगा। शहर के कोचिग हब के रूप में विख्यात शीतला कालोनी, पाटलिपुत्र कालोनी, बाईपास रोड महिसौड़ी, त्रिपुरारी सिंह रोड, कृष्णपट्टी समेत अन्य जगहों में संचालित कोचिग में एक भी मानक की पूर्ति नहीं की जा रही है।

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कोट

जिले में अलग-अलग प्रखंडों में संचालित होने वाले कोचिग संस्थान का फिर से सर्वे कराकर निबंधन के लिए प्रयास किया जाएगा। मानक पूरा नहीं करने वाले कोचिग संस्थानों के विरुद्ध बिहार कोचिग संस्थान नियंत्रण एवं विनियमन अधिनियम 2010 के तहत समुचित कार्रवाई भी की जाएगी।

कपिलदेव तिवारी, जिला शिक्षा पदाधिकारी, जमुई


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