आस्था के महाकुंभ में उमड़ा भक्तों का सैलाब
जमुई। मंगलवार दोपहर तकरीबन 12 बजकर 45 मिनट पर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ महेश्वरी स्थित बाब
जमुई। मंगलवार दोपहर तकरीबन 12 बजकर 45 मिनट पर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ महेश्वरी स्थित बाबा लक्ष्मीनारायण मंदिर में पावन ध्वजारोहण के साथ ही पूजनोत्सव का शुभारंभ हो गया। महिला व पुरुष भक्तजन कतारबद्ध हो हाथों में नेवैद्य की थालियां लिए बाबा दरबार की ओर बढ़ते दिखे। बता दें कार्तिक पूर्णिमा पर आयोजित होनेवाले बाबा लक्ष्मीनारायण महोत्सव में महेश्वरी गांव के कण-कण में आस्था व अध्यात्म की छटा दिखती है। मंगलवार को यहां मंदिर परिसर श्रद्धालुओं के सैलाब से पटा दिखा। 400 वर्ष के इतिहास को समेटे महेश्वरी गांव स्थित बाबा लक्ष्मीनारायण मंदिर कई राज्यों के भक्तों की प्रबल आस्था का केंद्र भी है। कार्तिक पूर्णिमा के मौैके पर यहां आयोजित होने वाले भव्य आयोजन में कई प्रदेशों के श्रद्धालुओं का आगमन होता है। मंगलवार को पूरे दिन धर्मपरायण भक्तों का सैलाब मंदिर परिसर में उमड़ता रहा। भक्तों की सुविधा को देखते हुए मुख्य गली से मंदिर तक जाने वाले गलियारे को सुसज्जित किया गया था। गांव के पुरब में बहने वाली कलोथर , पश्चिम में गोरिया व उतर दिशा में प्रवाहित होनेवाली योगिया नदी की कलकल धाराएं शुक्रवार को भक्तों के सैलाब को देख चार सौ वर्ष पूर्व के उस इतिहास का स्मरण दिला रही थी जब इसी गांव के दो भक्तों ने बाबा लक्ष्मीनारायण को यहां अधिष्ठापित किया था। कार्तिक पूर्णिमा का दिन महेश्वरी वासियों के लिए अतिमहत्व का होता है। दूरदराज से आनेवाले श्रद्धालुओं की बहुतायत से गांव की हर गलियां छोटी पड़ जाती है। इस इलाके की सभी सडकें मंगलवार को मानो महेश्वरी की ओर ही मुड़ गईं थी। पूजा - अर्चना के बाद बाहर से आए श्रद्धालुओं को गांववालों ने दही चूडा व प्रसाद खिलाया। हर जाति ,धर्म व संप्रदाय के लोग इस मौके पर यहां दिखे। बाबा का प्रिय प्रसाद दहिऔरी है जो यहां प्रत्येक घरों में तैयार किया जाता है। ध्वजारोहण के बाद यहां संयम व साधना की शर्तें लागू हो जाती है। पूरा गांव आतिथ्य सेवा की बेहतरीन मिसाल के लिए जाना जाता है। यही महेश्वरी की सनातन परंपरा भी है।