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सोनो में समारोहपूर्वक मनाई गई संत रविदास की 642वीं जयंती

जमुई। दुर्गा मंदिर प्रांगण में संत शिरोमणि रविदास की 642वीं जयंती समारोहपूर्वक मनाई गई।

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Feb 2019 05:44 PM (IST)Updated: Tue, 19 Feb 2019 05:44 PM (IST)
सोनो में समारोहपूर्वक मनाई गई संत रविदास की 642वीं जयंती
सोनो में समारोहपूर्वक मनाई गई संत रविदास की 642वीं जयंती

जमुई। दुर्गा मंदिर प्रांगण में संत शिरोमणि रविदास की 642वीं जयंती समारोहपूर्वक मनाई गई। समारोह की अध्यक्षता करते हुए महेंद्र दास ने गुरु रविदास के संदेशों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि मानव जाति का कायाकल्प उसके अंत:करण की शुद्धता से ही हो सकती है। संत शिरोमणि कहा करते थे कि मन चंगा तो कठौती में गंगा। उनकी अमरवाणी का आशय है कि अंतर्मन की निर्मलता ही मानव जीवन की सार्थकता है। मानव-मानव में भेद नहीं क्योंकि सबका सृजनहार परम ब्रह्मा परमात्मा ही है। समारोह का शुभारंभ संत शिरोमणि के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया। इस मौके पर वक्ताओं ने उनके विचारों को आत्मसात करने पर बल दिया। उनके विचारों में बाहरी आडंबरों पर करारी चोट की गई थी। इस मौके पर ¨सहेश्वर रविदास, देव सागर बौद्ध , महेश दास, दिलीप कुमार दास, गौतम दास, शंकर रविदास, भोला लाहकार, प्रकाश बौद्ध उपस्थित थे।

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