जहानाबाद में शहीद मनीष के सम्मान में उमड़ा जनसैलाब
शहीद मनीष कुमार के शव को आने की खबर जिले वासियों को पहले से ही थी। शुक्रवार की सुबह जिला मुख्यालय से लेकर सेवती गांव तक जगह-जगह पुष्प अर्पित करने को लेकर लोग खड़े थे। सुबह तकरीबन सात बजे जिले की सीमा में सेना के वाहन पर तिरंगे से लिपटे ताबूत में शहीद का शव प्रवेश किया।
जहानाबाद । शहीद मनीष कुमार के शव को आने की खबर जिले वासियों को पहले से ही थी। शुक्रवार की सुबह जिला मुख्यालय से लेकर सेवती गांव तक जगह-जगह पुष्प अर्पित करने को लेकर लोग खड़े थे। सुबह तकरीबन सात बजे जिले की सीमा में सेना के वाहन पर तिरंगे से लिपटे ताबूत में शहीद का शव प्रवेश किया। आगे-आगे प्रशासनिक अधिकारियों की गाड़ियों के साथ तिरंगा लिए युवकों की टोली भी बाइक से चल रहे थे। शहीद मनीष कुमार अमर रहे के जयघोष से वातावरण गुंजायमान हो रहा था। सड़क के किनारे खड़े लोग पुष्प की वर्षा कर शहादत को सलाम कर रहे थे। लोगों की आंखें नम हो रही थीं। दो घंटे बाद तकरीबन नौ बजे उस गांव में शव वाहन पहुंचा जहां की मिट्टी में खेल कूद कर बड़ा होने के उपरांत मनीष देश की सेवा में गए थे। शहीद के पैतृक गांव मखदुमपुर प्रखंड के सेवती में पहले से ही लोगों का हुजूम लगा हुआ था। जैसे ही गांव के लाल का पार्थिव शरीर वाहन से नीचे उतरा गया लोग एक झलक पाने को लेकर उतावले हो गए। तिरंगे में लिपटे अपने बेटे के शव को देख पिता राधेश्याम शर्मा तथा मां विणा देवी दहाड़ मार कर रोने लगी। अपने सुहाग को देश की रक्षा में कुर्बान कर देने वाली प्रियंका कुमारी की करुण क्रंदन से सभी की आंखें भर आ रही थीं। वही शहीद के मासूम पांच वर्षीय बेटा अभिनव कुमार तथा तीन वर्षिय बेटी वैष्णवी इस भीड़ को देख अचरज में थी। बच्चों को शहीद मनीष के बड़े भाई सेना के सेवानिवृत्त जवान पीयूष शर्मा संभाल रहे थे। लेकिन उनका साहस भी जवाब दे रहा था। गांव के श्मशान घाट में शहीद मनीष कुमार की चिता सजाई गई थी। शव के साथ यहां पहुंचे सेना के पीएचएम दीपक कुमार तथा सीओ प्रिस कुमार की मौजूदगी में शहीद जवान को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। शहीद के पांच वर्षीय पुत्र अभिनव मुखाग्नि दे अपने पुत्र का फर्ज निभाते हुए मौजूद लोगों को गमजदा कर दिया। देश के कर्ज चुकाने में जीवन न्योछावर करने वाले मनीष पंचतत्व में विलीन हो गए। दरअसल मनीष कुमार थल सेना में अरुणाचल प्रदेश के लेखापानी में कार्यरत थे। सर्च ऑपरेशन में जाने के दौरान गाड़ी खाई में गिर गई थी। जिसके कारण वे गंभीर रूप से जख्मी हो गए थे। वहां सेना के अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था लेकिन 23 फरवरी को उन्होंने अंतिम सांसें ली।