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प्रतिबंध के बावजूद दरधा नदी में कूड़ा फेंकना जारी

जहानाबाद जिस तरह प्राचीन सभ्यताओं का विकास नदियों के किनारे हुआ है। उसी तरह शहर भी इस के सानिध्य में ही सुंदर लगता है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 01 Jul 2022 11:34 PM (IST)Updated: Fri, 01 Jul 2022 11:34 PM (IST)
प्रतिबंध के बावजूद दरधा नदी में कूड़ा फेंकना जारी

जहानाबाद : जिस तरह प्राचीन सभ्यताओं का विकास नदियों के किनारे हुआ है। उसी तरह शहर भी इस के सानिध्य में ही सुंदर लगता है। जहानाबाद शहर के लिए सौभाग्य की बात है कि दरधा नदी का सानिध्य प्राप्त है। लेकिन शहरवासी इसका उपयोग कूड़ेदान के रूप में कर रहे हैं। प्रतिबंध के बावजूद नदी में कूड़ा फेंकने का सिलसिला जारी है। दिनों दिन हो रहे अतिक्रमण के कारण नदी की गहराई और चौड़ाई घटती जा रही है। अगर इसी तरह अतिक्रमण का दौर चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब नदी का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा। कहने को तो नगर परिषद के लिए अलग डंपिग जोन है, लेकिन विभिन्न मोहल्लों का कूड़ा नदी में ही डाला जाता है। दरअसल, लंबे समय तक शहर का कूड़ा कचरा दरधा नदी में हीं डंप

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होता था। लेकिन जब सात निश्चय योजना के तहत जल जीवन हरियाली की शुरुआत हुई तब नदियों में कूड़ा का डंपिग बंद कर दिया गया। लेकिन तट पर रहने वाले लोग आज भी नगर परिषद के सफाई कर्मियों को कूड़ा देने या डस्टबिन में डालने के बजाय नदी में ही फेंक दे रहे हैं। नदी से जुड़ी है शहर की सुंदरता शहर के बीचोबीच से गुजरने वाली नदी जब स्वच्छ रहेगी तभी शहर की सुंदरता कायम रहेगी।लेकिन फिलहाल जो नदी का हाल बना दिया गया है उससे इसके आसपास बदबू के अलावा और कुछ नहीं मिलता है। नदी किनारे कूड़े के टीले तो बीच में नालियों का गंदा पानी इसे बदरंग कर दिया है। इस स्थिति में स्वच्छ शहर की परिकल्पना संभव नहीं है। नदी के किनारे आलीशान बंगले जरूर है लेकिन शुद्ध हवा नहीं है। प्राकृतिक धरोहर होने के कारण नदी की ओर से शुद्ध हवा आनी चाहिए थी लेकिन लोगों द्वारा फेंके गए कचरे खुद इसे इस कदर दूषित कर दिया है कि यह दूसरों को शुद्धता प्रदान करने में सक्षम नहीं है। गंदगी ने लील ली संगम घाट की सुंदरता शहर के संगम घाट प्राकृतिक तथा धार्मिक दोनों ²ष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है। इसकी सुंदरता और स्वच्छता शहर की प्रगति से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है। लेकिन इस महत्वपूर्ण स्थान की साफ-सफाई का कोई इंतजाम नगर परिषद द्वारा नहीं किया जा रहा है। कूड़े के ढेर के साथ नालियों का पानी फिलहाल संगम घाट की पहचान बनी है। लोक आस्था के महापर्व छठ के समय ही इसकी साफ-सफाई की जाती है। आम दिनों में इसकी सुधि लेने वाला कोई नहीं है।


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