यहां मुस्लिम बच्चे भी रट रहेविद्या ददाति विनयम का पाठ
हुलासगंज संस्कृत सभी भाषाओं की जननी मानी जाती है। यह भाषा अब मुस्लिम समाज के छात्रों को भी भ
हुलासगंज :संस्कृत सभी भाषाओं की जननी मानी जाती है। यह भाषा अब मुस्लिम समाज के छात्रों को भी भाने लगी है। जहानाबाद जिले के एकमात्र हुलासगंज मुख्यालय स्थित स्वामी प्रांगकुशाचार्य आदर्श संस्कृत महाविद्यालय में परवेज आलम, मुजफ्फर आलम, फिरोज आलम, तनवीर और शकील अहमद धड़ल्ले से विद्या ददाति विनयम रट रहे हैं। संस्कृत की शिक्षा लेकर अपना करियर बना रहे हैं। कई मुस्लिम छात्र संस्कृत भाषा के सहारे अपनी जीवन नइया पार लगा चुके हैं। संस्कृत महाविद्यालय में डेढ़ दर्जन से अधिक मुस्लिम छात्र नामांकित हैं, जिनके कंठ से संस्कृत की वेद रचाएं निकलती हैं। इनके लिए धर्म से अधिक ज्ञान मायने रखता है। पढ़ाई के बीच धर्म-मजहब सामने नहीं आता। इनके अभिभावकों को भी संस्कृत से गुरेज नहीं है।
गीता के श्लोक, ज्योतिष, दर्शन और कर्मकांड की ले रहे तालीम
महाविद्यालय में संस्कृत और संस्कृति के साथ गुरुकुल की परंपरा जीवंत है। सिर पर मुस्लिम टोपी पहनकर जब मुस्लिम छात्र फर्राटे से संस्कृत श्लोक का पाठ करते हैं तो सबकी निगाहें अनायास अपनी ओर खींच लते हैं। हिन्दू-मुस्लिम छात्र एक साथ गीता के श्लोक, ज्योतिष, दर्शन और कर्मकांड की तालीम ले रहे हैं। पिछले एक दशक में दो दर्जन मुस्लिम छात्र यहां से शिक्षा ग्रहण कर अलग-अलग क्षेत्रों में अपना करियर संवार चुके हैं। वर्तमान सत्र में स्नातक के समकक्ष शास्त्री अंतिम वर्ष में परवेज आलम और मुजफ्फर आलम अध्ययनरत हैं। फिरोज आलम शास्त्री प्रथम वर्ष में और तनवीर और शकील अहमद उत्तर मध्यमा की पढ़ाई कर रहे हैं। धर्म से ऊपर उठकर शिक्षा को स्थान देकर इन छात्रों ने समाज के सामने एक नजीर पेश की है। छात्र जफर आलम कहते हैं कि इस भाषा की सहजता और सरलता से मैं काफी प्रेरित हुआ हूं। परवेज आलम कहते हैं कि भाषा किसी धर्म की बंदिश में नहीं रह सकती। भाषा तो ज्ञान के सृजनात्मकता का माध्यम है। आचार्य डा श्रीनिवास शर्मा बताते हैं कि वेद, वेदांत उपनिषद सब अपने आप में ज्ञान दर्शन और रहस्यों से परिपूर्ण हैं। इसलिए मुस्लिम छात्र भी संस्कृत में रुचि ले रहे हैं। सेना में धर्म शिक्षक, राजभाषा विभाग में अनुवादक समेत कई अन्य रोजगार के अवसर भी संस्कृत विषय में मिल रहे हैं।
25 फरवरी 1980 को स्थापित हुआ आदर्श संस्कृत महाविद्यालय
25 फरवरी 1980 में स्थापित आदर्श संस्कृत महाविद्यालय को एक अप्रैल 1990 को आदर्श योजना के तहत स्वायत शासी व्यवस्था में अंगीभूत किया गया था। राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान नई दिल्ली के अधीन महाविद्यालय को संचालित किया जाता है। 12वीं से लेकर पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स की पढ़ाई यहां होती है। वर्तमान में 350 छात्र-छात्राएं यहां अध्ययनरत हैं। साहित्य, ज्योतिष, वेद, वेदांत, आधुनिक संस्कृत, व्याकरण, हिदी, अंग्रेजी, राजनीति शास्त्र विषयों की पढ़ाई होती है। कुल 11 शिक्षक वर्तमान में कार्यरत हैं। गुरुकुल में छात्रों को निशुल्क भोजन, आवासीय व्यवस्था, वस्त्र और पठन-पाठन सामग्री लक्ष्मी नारायण मंदिर ट्रस्ट की ओर से दी जाती है। इस संस्थान में कर्मकांड और ज्योतिष के विद्वान प्रशिक्षण देने बाहर से भी आते हैं। यहां के छात्र राष्ट्रीय स्तर के संस्कृत ओलंपियाड आदि में पदक प्राप्त कर चुके हैं।
कोट :
महाविद्यालय की स्थापना संस्कार युक्त शिक्षा के लिए की गई है। यहां धर्म और जाति के भेद से परे गुरु-शिष्य की आदर्श परंपरा कायम रखने का प्रयास किया गया है।
प्राचार्य, वेंकटेश शर्मा
यहां फिरोज भी रट रहे विद्या ददाति विनयम