गरमा फसल की खेती से किसानों की आमदनी होती दोगुनी
संयुक्त कृषि भवन में गुरुवार को कृषि प्रौद्योगिकी आत्मा के तत्वावधान में गरमा मौसम में लगाई जाने वाली फसलों की वैज्ञानिक खेती के बारे में जानकारी दी गई।
जहानाबाद : संयुक्त कृषि भवन में गुरुवार को कृषि प्रौद्योगिकी आत्मा के तत्वावधान में गरमा मौसम में लगाई जाने वाली 'फसलों की वैज्ञानिक खेती' विषय पर कृषक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। अध्यक्षता अनुमंडल कृषि पदाधिकारी निरंजन भारद्वाज ने किया। संचालन किसान सलाहकार देवेंद्र कुमार ने किया। उद्घाटन गंधार वैज्ञानिक केंद्र के शोभारानी द्वारा की गई।
उन्होंने कहा कि दलहनी की कमी को पूरा कर अपनी आमदनी को दुगूना करने में गरमा फसल महत्वपूर्ण कदम है। मूंग एवं मकई की खेती को जिले के लिए उत्तम फसल बताया। बतौर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित पौधा संरक्षण के सहायक निदेशक अरविद कुमार ने किसानों को कोई भी फसल लगाने से पहले बीज उपचार को प्राथमिकता के साथ करने की सलाह दी। वैज्ञानिक जितेंद्र कुमार ने किसानों को कृषि यंत्रीकरण पर चर्चा करते हुए कहा कि ग्रीष्म ऋतु में गहरी जुताई का कृषि कार्य में बड़ा महत्व है। गहरी जुताई से बहुत से कीट -पतंग जो फसल के लिए नुकसानदेह हैं उनका प्रबंधन किया जा सकता है। श्रमिक के अभाव में कृषि यंत्रों की उपयोगिता काफी बढ़ गई है। डॉक्टर वाजिद हसन ने मूंग के साथ-साथ उड़द की खेती को किसानों के लिए लाभदायक बताया। पंत एवं नवीन प्रवेद की उड़द की बीज को कम सिचाई में अच्छी उपज लेने के लिए किसानों को प्रेरित किया। दिनेश महतो ने कृषि कार्य में पशुपालन को प्राथमिकता देने की बात कही। मौसम की अनिश्चितता को देखते हुए कृषि कार्य में होने वाले नुकसान की भरपाई पशुपालन से करने की सलाह दी। पशुओं के लिए हरियाणा के लिए ग्रीष्म ऋतु में अजोला एवं अंकुरित अनाज को पशु चारा में उपयोग करने की सलाह दी। कार्यक्रम का आयोजन आत्मा के उपरियोजना निदेशक राकेश कुमार द्वारा की गई। इस मौके पर कृष्ण मुरारी सिंह, रंजीत कुमार, राजेश कुमार, रोशन कुमार, प्रभु कुमार, संजय कुमार ,गिरिजेश कुमार, उपेंद्र सिंह, अर्जुन यादव, मनोज कुमार सहित कई किसान उपस्थित थे।